वाराणसी: आज पूरे देश में धूमधाम के साथ गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. अंधकार से प्रकाश की तरफ ले जाने वाले गुरु के लिए समर्पित दिन गुरु पूर्णिमा अपने आप में बेहद खास होता है, क्योंकि इस दिन गुरु की पूजा की जाती है. शास्त्रों में कहा भी गया है कि गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा, गुरु साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः, यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सभी देवी-देवताओं से पहले गुरु का स्थान होता है. गुरु ही भगवान तक जाने के मार्ग को प्रशस्त करता है. इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन का विशेष महत्व है और इसका विधान भी शास्त्रों में बताया गया है.
इस बारे में काशी धर्म परिषद के महासचिव और प्रख्यात ज्योतिष आचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास जी की स्मृति में मनाया जाता है. हमारे यहां सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं का 12 महीने में विशेष तिथि पर पूजन करने का विधान बताया गया है. उसी प्रकार सनातन धर्म में गुरु पूजन का भी विशेष दिन निर्धारित है. देवी-देवताओं के भी ऊपर सनातन धर्म में गुरु का स्थान माना गया है. हिंदी साहित्य और धर्म साहित्य दोनों में गुरु का अलग-अलग बखान किया गया है.
गुरु को प्रमुख रूप से गुरु पूर्णिमा के दिन पूजने का विशेष महत्व है, क्योंकि गुरु ही देवी-देवताओं तक पहुंचने के ज्ञान को अर्जित करवाता है और अंधकार से प्रकाश का मार्ग प्रशस्त करता है. इसलिए गुरु सर्वोपरि हैं और गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. इस दिन गुरु की विधि-विधान से पूजा की जाती है और यदि पूजन का सही वक्त बताया जाए तो 13 जुलाई की भोर में 2:35 मिनट से 13 जुलाई और 14 जुलाई के मध्य रात्रि 12:06 तक पूर्णिमा तिथि उपलब्ध रहेगी. इस अनुसार पूरे दिन गुरु पूर्णिमा की पूजा की जा सकती है.