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एफपीओ किसान उत्थान की दिशा में अच्छी पहल, जानें राज्यपाल ने ऐसा क्यों बोला

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Published : Jan 6, 2021, 10:04 PM IST

वाराणसी के कार्यक्रम में शामिल राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि 10 एफपीओ सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं. ये किसानों के उत्थान की दिशा में अच्छी पहल है. इसमें केंद्र के छात्र, किसानों से संपर्क और संवाद करें.

कृषि संकाय का किया लोकार्पण.
कृषि संकाय का किया लोकार्पण.

वाराणसी:राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बुधवार को काशी विद्यापीठ के कृषि विज्ञान एवं तकनीकी संकाय के भैरव तालाब परिसर का उद्घाटन किया. इस अवसर पर कुलपति टीएन सिंह ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का अंगवस्त्रम, स्मृति चिह्न और पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया. इसके बाद राज्यपाल ने विज्ञान सेंटर की लैब, कक्ष और परिसर का अवलोकन किया.

कृषि संकाय का किया लोकार्पण.

10 एफपीओ क्रियाशील
काशी विद्यापीठ के कृषि विज्ञान एवं तकनीकी संकाय भैरव तालाब परिसर का लोकार्पण समारोह बुधवार को आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेन ने कहा कि वाराणसी में 10 एफपीओ (कृषक उत्पादक कंपनी) सफलतापूर्वक संचालित हो रही हैं. यह किसानों के उत्थान की दिशा में अच्छी पहल है.

उन्होंने कहा कि काशी विद्यापीठ भैरव तालाब स्थित यह केंद्र एफपीओ गठित करने की अगुवाई करे. इसमें केंद्र के छात्र किसानों से संपर्क और संवाद करेंगे. शोध संस्थाओं में विकसित कृषि तकनीकी की शिक्षा लैब से जमीन तक पहुंचाई जाए. वर्तमान में काशी विद्यापीठ के भैरव तालाब परिसर में प्रति वर्ष 176 छात्र दाखिला ले रहे हैं. इनके घरों पर जमीन होगी, उसमें यह छात्र विश्वविद्यालय से प्राप्त ज्ञान और तकनीकी का प्रयोग करें. साथ ही गांव के दूसरे लोगों को भी बताएं. राज्यपाल ने इस संकुल को मॉडल के रूप में विकसित करने पर बल दिया.

राज्यपाल ने ऑर्गेनिक खेती पर दिया जोर
राज्यपाल ने कहा कि महात्मा गांधी के नाम पर यह विश्वविद्यालय उनकी सोच को फलिभूति करने का माध्यम बने. गांधीजी ग्रामीण विकास के पक्षधर थे. गांव के विकास से देश का विकास होगा. गांव के छोटे-छोटे किसानों को नई तकनीकी सिखाई जाए. कृषि व पशुपालन सबसे ज्यादा रोजगार देते हैं. आनंदीबेन ने ऑर्गेनिक खेती पर जोर देते हुए कहा कि उत्पादकता बढ़ाने की होड़ में अंधाधुंध फर्टिलाइजर, केमिकल के प्रयोग से उत्पन्न अनाजों से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी होती है. 25-30 वर्ष पूर्व कंपोस्ट खाद प्रयोग होती थी. अब किसान फिर ऑर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं.

लागत आती है कम
ऑर्गेनिक खेती में कम लागत आती है. पहले एक-दो वर्ष के बाद उत्पादन भी अच्छा होने लगता है. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से प्रदूषण होता है. सरकार ने इसकी कंपोस्ट बनाने की विधियां किसानों को बताई हैं. ड्रिप इर्रिगेशन अच्छी सिंचाई विधि है. सरकार इसमें अनुदान भी देती है. उन्होंने कहा कि अब लड़कियां भी कृषि व पशुपालन के क्षेत्र में आगे आ रही हैं. यह बहुत शुभ संकेत है.

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