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गर्भवती महिलाओं को रहता है जेस्टेशनल डायबिटीज खतरा, जानिए इसके लक्ष्ण और इलाज - गर्भावस्था के दौरान खतरा जेस्टेशनल डायबिटीज

महिलाओं के शरीर में गर्भावस्था के दौरान कई तरह के बदलाव होते हैं. जो कई बार विभिन्न तरह की बीमारियों को जन्म देते हैं. इन्हीं बीमारियों में से एक है जेस्टेशनल डायबिटीज. गर्भवती महिला में जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण शुगर लेवल तेजी से बढ़ता है. जो बच्चे और मां दोने की खतारनाक हो सकता है. कई बार ये बीमारी बच्चे के जन्म के बाद ठीक भी हो जाती है.

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Published : Jun 3, 2023, 5:13 PM IST

वाराणसी:महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. मगर इसमें सबसे अधिक जोखिम वाली दिक्कतों में से एक है हार्मोनल असंतुलन. जिसे कहते हैं, जेस्टेशनल डायबिटीज. इसके कारण महिलाओं में ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है, जिन्हें पहले शुगर की समस्या नहीं थी. गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज का होना मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है. जिसके कारण मां और बच्चे दोनों की जान भी जा सकती है. अगर जीवित रहा तो बच्चे में विकार की आशंका रहती है.

सेनपुरा की रहने वाली शालिनी घर के कामकाज कर रही थीं. इस दौरान उनको चक्कर आ गया. अचानक से चक्कर आने के बाद वह खुद को संभाल नहीं सकीं और बिस्तर पर गिरकर बेहोश हो गईं. थोड़ी देर बाद उन्हें होश आया. उनकी हालत देखकर घर वाले उन्हें अस्पताल लेकर गए. वहां सभी तरह की जांच हुई. जहां रिपोर्ट में पता चला कि उन्हें गर्भावस्था के दौरान होने वाला जेस्टेशनल डायबिटीज हो गया है. वह गर्भावस्था के सातवें महीने में थी.

महिलाओं में बढ़ सकता है हाई ब्लड प्रेशर का खतरा:पंडित दीनदयाल चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती दिव्या ने इस बारे में विस्तार से बात की. उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई समस्याएं आती हैं. इसमें से जो सबसे अधिक बड़ी दिक्कत है वो है हार्मोनल असंतुलन. इसके कारण गर्भवती महिलाओं में ब्लड शुगर काफी बढ़ जाता है. कई बार देखा जाता है कि जिन्हें पहले शुगर की समस्या नहीं थी, उन्हें भी ये दिक्कत आ जाती है. गर्भधारण के बाद होने वाले शुगर को ही जेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है.

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आरती दिव्या
पहले से नहीं थी शुगर की परेशानी: ऐसा ही मामला रमाकांत नगर कालोनी की रहने वाली रागिनी के साथ भी हुआ. वह पहली बार मां बनने वाली है. गर्भावस्था के छठे माह में उन्हें प्यास लगने और बार-बार पेशाब आने की शिकायत हुई. अधिक परेशानी शुरू होने के बाद वह डॉक्टर के पास पहुंचीं. इस दौरान खून की जांच कराई गई, तो पता चला कि उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज हो चुका है. शालिनी और रागिनी के साथ एक जैसी समस्या हुई. दोनों ने गर्भ ठहरने के पहले माह में जांच कराई थी, तो उन्हें शुगर की परेशानी नहीं थी.

मां और शिशु को होता है जान का खतरा: डॉ. आरती बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज मां और शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है. बच्चे में जन्मजात समस्याओं की आशंका बनी रहती है. प्रसव के समय मां और शिशु की जान को खतरा रहता है. ब्लड शुगर अधिक होने पर महिला को हाई ब्लड प्रेशर का भी खतरा हो सकता है. उन्होंने बताया कि इससे गर्भपात अथवा समय से पूर्व प्रसव की भी आशंका बढ़ जाती है. यह बीमारी होने वाले शिशु के लिए भी खतरनाक हो सकती है. बच्चे को भविष्य में डायबिटीज होने की आशंका रहती है.

सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में जाए:
उन्होंने बताया कि पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग में इसके लिए उपचार की व्यवस्था है. इसके साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर उपचार की सुविधा उपलब्ध है. हर माह की 1, 8, 16 व 24 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयोजित होने वाले प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस पर भी महिलाओं के लिए स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर काम किया जाता है. महिलाएं वहां जा सकती हैं.

इन लक्षणों के दिखते ही तुरंत डॉक्टर के पास जाएं:
महिलाओं में गर्भधारण के दौरान शुगर के लक्षण दिखाई नहीं देते है. किसी गर्भवती महिला को बार-बार पेशाब आना, धुंधला दिखना, मूत्राशय और त्वचा का संक्रमण, अत्यधिक प्यास लगना, थकान, जी मिचलाना जैसी परेशानियां होती हैं. तो ये जेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं. अगर ये लक्षण महिलाओं में नजर आते हैं तो उन्हें तत्काल किसी चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए. इसका उपचार अगर समय रहते न शुरू किया गया, तो बड़ी समस्या आ सकती है. मां और शिशु दोनों की जान को खतरा हो सकता है.

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