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इस विश्वविद्यालय के गौरव गैलरी में दिखेगी 232 सालों की ऐतिहासिक भव्यता

वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गौरव गैलरी स्थापित की जायेगी. जहां विश्वविद्यालय के 232 सालों के इतिहास को आम जनमानस के लिए उपलब्ध कराया जायेगा.

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232 सालों की ऐतिहासिक भव्यता

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Published : May 1, 2022, 4:53 PM IST

वाराणसीः जिले के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में गौरव गैलरी स्थापित की जायेगी. जहां विश्वविद्यालय के 232 सालों के इतिहास को आम जनमानस के लिए उपलब्ध कराया जायेगा. खास बात ये है कि यहां न सिर्फ विश्वविद्यालय का इतिहास मौजूद होगा, बल्कि विश्वविद्यालय में मौजूद ग्रंथ, साहित्य यहां के संस्कार, मंदिरों के दिव्य प्रकाश की झलकियां भी दिखाई देंगी.

1791 में हुई थी इस विश्वविद्यालय की स्थापनाः आपको बता दें कि सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के वाराणसी नगर में स्थित संस्कृत विश्वविद्यालय है. यह पूर्वात्य शिक्षा एवं संस्कृत से संबंधित विषयों पर उच्च शिक्षा का केंद्र है. ये विश्वविद्यालय मूलतः शासकीय संस्कृत महाविद्यालय था. जिसकी स्थापना सन् 1791 में की गई थी. साल 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ. जिसमें हजारों पाण्डुलिपियां संग्रहित हैं. 22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया. उस समय इसका नाम 'वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय' था. सन् 1974 में इसका नाम बदलकर 'संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय' रख दिया गया.

232 सालों के ऐतिहासिक परिसर में बनेगी गौरव गाथाःकुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि काशी में स्थित 232 सालों के ऐतिहासिक परिसर में भारतीय संस्कृति, संस्कार एवं संस्कृत भाषा के त्रिवेणी का प्रवाह समूचे जग को अभिसिंचित किये हुए है. आज इस परिसर की गौरव ज्ञान धारा की धरा के विभिन्न आयाम की जानकारी आज की पीढ़ी को बताने या जानकारी के लिये एक गौरव गैलरी की स्थापना की जायेगी. जिसमें यहां के विभिन्न तरह के विभागों, प्राच्य विद्या के उद्देश्य का प्रसार और संबंधित ग्रंथों, साहित्य और श्रेष्ठ ऋषि तुल्य आचार्यों के द्वारा किये गये योगदान एवं उनके व्यक्तित्व का गौरव गाथा बतायी या दिखाई जायेगी.

गौरव गैलरी के माध्यम से सांस्कृतिक परिदृश्य से जनमानस होंगे रूबरूः कुलपति प्रोफेसर हरेराम त्रिपाठी ने बताया कि यहां के ऐतिहासिक भवन, विशिष्ट आचार्यों के व्यक्तित्व परिचय, यहां प्रकाशित विभिन्न तरह के ग्रंथ, सरस्वती भवन पुस्तकालय में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपियों के संक्षिप्त परिचय, यहां के कुलपति जो कि अनेकों विशिष्ट योगदान की गाथा, विभिन्न तरह के मंदिरों के दिव्य प्रकाश की झलकियां और संपूर्ण देश में यहां से संचालित महाविद्यालयों के स्वरूप, यहां पर आसान पद्धति से अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था को गौरव गैलरी में स्थापित की जायेगी.

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उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार भी गौरव गैलरी के माध्यम से संस्थाओं की विशिष्टता एवं सांस्कृतिक परिदृश्य को जनमानस के लिए उपलब्ध कराना है. इसके माध्यम से नवीन पीढ़ी को संस्थाओं के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त होगी. उससे उनके व्यक्तित्व के विकास में सहायक सिद्ध होगी.

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