वाराणसी : बीते 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पर दुनियाभर से आये लोगों ने गंगा में डुबकी लगायी और प्रथा का निर्वहन कर दान-पुण्य किया. आस्था में विश्वास करने वाले लोगों ने गंगा में डुबकी लगाने के साथ आचमन किया. मगर गंगा में गिरते वाराणसी शहर के छोटे-बड़े 30 नाले गंगाजल को प्रदूषित कर रहे हैं. इतना ही नहीं गंगा की सफाई और घाटों पर कार्य तभी देखे जाते हैं, जब किसी वीआइपी का आगमन होता है. ऐसे में गंगा स्नान करने वालों में बड़ी कमी देखी जा रही है. आलम यह कि लोग अब गंगा के जल को आचमन के योग्य भी नहीं मानते.
नाविकों ने बयां किया गंगा का दर्द
गंगा घाट के नाविकों ने बताया कि गंगा का पानी स्नान करने योग्य भी नहीं है. उन्होंने बताया कि गंगा में सीधे नालों का पानी छोड़ा जाता है, जिसके कारण लोग आचमन तो दूर, स्नान करने से भी परहेज करते हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ के बाद गंगा खुद-ब-खुद स्वच्छ हो जाती हैं.
गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले
आंकड़ों के अनुसार गंगा में छोटे-बड़े 30 नाले सीधे तौर पर गिरते हैं. इनमें नगवा, अस्सी नाला और राजघाट से गिरने वाले नाले गंगा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन नालों की वजह से 150 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन गंगा में जा रहा है. इनमें सबसे अधिक नगवा अस्सी नाले से 40-42 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन गिर रहा है. जिससे गंगा में स्वच्छता का औसत गिरता जा रहा है.