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आचमन तो दूर, स्नान के लायक भी नहीं गंगा का पानी

केंद्र में 2014 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद मोक्षदायिनी मां गंगा को प्रदूषण से मुक्ति दिलाने और निर्मल बनाने के लिए जोर-शोर से मुहिम शुरू की गई. इसे लेकर तमाम कवायद के दावे किए गए, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा. आज आलम यह है कि लोग गंगा के पानी का आचमन तो दूर, स्नान करने से भी कतरा रहे हैं.

गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले.
गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले.

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Published : Jan 20, 2021, 8:50 AM IST

वाराणसी : बीते 14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर पर दुनियाभर से आये लोगों ने गंगा में डुबकी लगायी और प्रथा का निर्वहन कर दान-पुण्य किया. आस्था में विश्वास करने वाले लोगों ने गंगा में डुबकी लगाने के साथ आचमन किया. मगर गंगा में गिरते वाराणसी शहर के छोटे-बड़े 30 नाले गंगाजल को प्रदूषित कर रहे हैं. इतना ही नहीं गंगा की सफाई और घाटों पर कार्य तभी देखे जाते हैं, जब किसी वीआइपी का आगमन होता है. ऐसे में गंगा स्नान करने वालों में बड़ी कमी देखी जा रही है. आलम यह कि लोग अब गंगा के जल को आचमन के योग्य भी नहीं मानते.

गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले.

नाविकों ने बयां किया गंगा का दर्द
गंगा घाट के नाविकों ने बताया कि गंगा का पानी स्नान करने योग्य भी नहीं है. उन्होंने बताया कि गंगा में सीधे नालों का पानी छोड़ा जाता है, जिसके कारण लोग आचमन तो दूर, स्नान करने से भी परहेज करते हैं. उन्होंने बताया कि बाढ़ के बाद गंगा खुद-ब-खुद स्वच्छ हो जाती हैं.

गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले.

गंगा को दूषित कर रहे 30 नाले
आंकड़ों के अनुसार गंगा में छोटे-बड़े 30 नाले सीधे तौर पर गिरते हैं. इनमें नगवा, अस्सी नाला और राजघाट से गिरने वाले नाले गंगा को सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. इन नालों की वजह से 150 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन गंगा में जा रहा है. इनमें सबसे अधिक नगवा अस्सी नाले से 40-42 एमएलडी सीवेज प्रतिदिन गिर रहा है. जिससे गंगा में स्वच्छता का औसत गिरता जा रहा है.

टेपिंग के बाद भी नहीं सुधरी स्थिति
शहर में दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के तहत कई नालों की टेपिंग कर उन्हें बंद कर दिया गया. मगर इसके बाद भी इन नालों का सीवेज गंगा में प्रवाहित हो रहा है. जिसके कारण गंगा की स्थिति पूर्ववत की भांति बनी हुयी है. यही वजह है कि स्थानीय लोग गंगा स्नान से परहेज कर रहे हैं.

पहले से साफ हुईं गंगा
गंगा की सफाई और स्नान करने योग्य ऑक्सीजन को लेकर मॉनिटरिंग करने वाली संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी कलिका सिंह ने कहा कि गंगा पहले से साफ हुयी हैं. उन्होंने जानकारी दी कि गंगा में स्नान करने के लिए जितने ऑक्सीजन की मात्रा होनी चाहिए गंगाजल में उतना मौजूद है.

दो एसटीपी से सुधरेगी स्थिति
कलिका सिंह ने बताया कि शहर के बाहर स्थित रमना और रामनगर एसटीपी प्लांट की शुरुवात होने पर गंगा का जल और भी स्वच्छ हो जायेगा. साथ ही उन्होंने बताया कि सामने घाट और रामनगर से गंगा में गिरने वाले नालों को जल्द ही बंद कर दिया जायेगा. इससे गंगा की स्थिति में और भी ज्यादा सुधर देखने को मिलेगा.

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