वाराणसी: जिले में बह रही गंगा, जिसके तट पर बसी काशी नगरी में लोग मुक्ति पाने के लिए आते हैं. दूर-दूर से लोग अपनों के दाह संस्कार के लिए काशी के महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर पहुंचते हैं, लेकिन इन दिनों मोक्षदायिनी गंगा के पावन तट पर दाह संस्कार के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है. 15 जुलाई के बाद तेजी से बढ़ने वाला गंगा नदी का जलस्तर, इस बार जून के महीने में ही घाटों की सीढ़ियों पर पहुंच गया है. गंगा में बढ़ रहे पानी की वजह से मणिकर्णिका घाट पर शवों के दाह संस्कार में दुश्वारियां हो रही हैं.
कई राज्यों से दाह संस्कार करने आते हैं लोग
महाशमशान मणिकर्णिका घाट पर पूर्वांचल समेत यूपी के अलग-अलग हिस्सों से लोगों यहां अंतिम संस्कार करने आते हैं. बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और देश के अलग-अलग कोने से लोग शव लेकर यहां पहुंचते हैं. यही वजह है कि प्रतिदिन यहां लगभग 70 से 80 शवों का दाह संस्कार 24 घंटे के अंदर होता है. लगातार शवों का फ्लो बने रहने की वजह से तीन अलग-अलग प्लेटफॉर्मों पर शवों का दाह संस्कार संपन्न कराया जाता है. इस बार गंगा नदी में तेजी से बढ़ रहे पानी की वजह से एक प्लेटफॉर्म पूरी तरह से जलमग्न हो चुका है और दो प्लेटफॉर्म पर शवों को जलाने की प्रक्रिया जारी है. वहीं जगह कम होने की वजह से शवों को घाटों की सीढ़ियों पर रखकर लोगों को इंतजार भी करना पड़ रहा है.
लगातार बढ़ रहा गंगा नदी का जलस्तार
यहां मौजूद लोगों का कहना है कि लगभग 3 से 4 दिन के अंदर गंगा का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ गया है. पहाड़ों पर लगातार हो रही बरिश की वजह से गंगा में पानी बढ़ रहा है और जलस्तर ऐसे ही बढ़ता रहा तो जल्द ही शव जलाने वाले चारों प्लेटफॉर्म भी डूब जाएंगे. ऊपर बने दाह संस्कार स्थल पर एक बार में 10 शवों को ही जलाया जा सकता है, जिसके बाद दिक्कतें और भी ज्यादा बढ़ जाएंगी.
गंगा नदी का बढ़ा जलस्तर
1 जुलाई 60.60 मीटर