वाराणसी: लंबे वक्त से लोगों को तारने वाली मां गंगा इंतजार में थीं कि आखिर कब वह एक बार फिर से वह निर्मल और अविरल होकर बहेंगी. कल कारखानों की गंदगी, पूजा सामग्री और न जाने अन्य कितनी गंदी चीजें गंगा में इधर-उधर हर तरफ से फेंकी जाने लगी, जिसका गहरा असर गंगा की निर्मलता पर तो पड़ा ही साथ ही साथ गंगा का जलस्तर भी गर्मी में तेजी से घटता रहा. इसका गहरा असर गंगा किनारे बसने वाले तमाम शहरों के पीने के पानी की सप्लाई पर पड़ता था.
दरअसल, वाराणसी में गंगा के पानी को भदैनी स्थित इनटेक वाटर पंप के जरिए खींचकर भेलूपुर जलकल विभाग भेजा जाता है, जहां इसे पीने योग्य बनाने के बाद शहर में सप्लाई की जाती है. बीते लगभग 3 से 4 सालों में गंगा के पानी में लगातार कमी की वजह से इस वाटर पंप स्टेशन में हालात बेहद खराब हो गए थे. यहां के पंप संचालक की माने तो मई-जून के महीने में गंगा में इतना पानी भी नहीं रहता था कि पंप इसे खींच सके. इसकी वजह से पंप खराब हो जाते थे और चार में से दो या फिर एक से ही काम चलाना पड़ता था.
कम पानी होने से सप्लाई में होती थी दिक्कत
पानी की सप्लाई कम होने की वजह से लोगों तक पानी कम पहुंचता था और तमाम दिक्कतें होती थीं, लेकिन इस बार हालात बिल्कुल ऐसे नहीं हैं. लॉकडाउन के कारण जहां गंगा का पानी एकदम साफ-निर्मल है तो वहीं पहाड़ों पर हो रही बारिश और पीछे से कुछ बांधों से छोड़े गए पानी की वजह से गंगा में पानी पर्याप्त है. जलकल विभाग के महाप्रबंधक नीरज गौड़ की मानें तो जलकल विभाग मई-जून के महीने में हर साल परेशान रहता था. महाप्रबंधक के मुताबिक टेंशन की बात तब होती है, जब यहां लगे पम्प के पास वाटर लेवल 189.5 मीटर से नीचे जाता है. इसके बाद पंप बंद करने पड़ते हैं.