वाराणसी:मंगलवार रात 1:31 बजे से खंडग्रास चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. लगभग तीन घंटे तक चंद्र ग्रहण लगेगा. इसका असर धर्मनगरी वाराणसी में अभी से देखने को मिल रहा है. ग्रहण के नौ घंटे पूर्व 4:30 बजे से सूतक काल की शुरुआत हो चुकी है. सूतक काल की शुरुआत के साथ ही धर्म शास्त्र में पूजा-पाठ, भगवान की आरती और अन्य चीजें प्रतिबंधित बताई गई हैं. इस वजह से काशी में होने वाली विश्व प्रसिद्ध नियमित गंगा आरती शाम 7 बजे की जगह 3 बजे शुरू हुई और 4:30 बजे से पहले खत्म करा दी गई.
रात में लगने वाले चंद्र ग्रहण के सूतक काल शुरू होने से पहले बनारस में संपन्न हुई गंगा आरती - kashi vishwanath
चंद्र ग्रहण 16 जुलाई की रात 1:31 बजे से आरंभ होगा. जिसका मोक्ष 17 जुलाई की सुबह 4:31 बजे होगा. ग्रहण के नौ घंटे पहले से सूतक काल की शुरुआत हो चुकी है. इस वजह से विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती शाम 7 बजे की जगह दोपहर 3 बजे की गई.
इतना ही नहीं बनारस के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत मुख्य अन्य कई मंदिरों में भी भोर में होने वाली मंगला आरती के समय में परिवर्तन किया गया है. दरअसल 16 जुलाई की मध्यरात्रि के बाद 1:31 बजे से चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो 17 जुलाई की भोर में 4:30 बजे खत्म होगा. इस वजह से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य मुख्य मंदिरों में शयन आरती के बाद सभी मंदिरों के कपाट बंद हो जाएंगे. भोर में 3 बजे होने वाली नियमित गंगा आरती अपने दो घंटे विलंब से 4:45 के बाद शुरू होगी और 5:45 तक आरती संपन्न होने के बाद मंदिर में आम भक्तों को दर्शन मिल सकेगा.
यही वजह है कि ग्रहण के नौ घंटे पूर्व सूतक काल की वजह से दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा सेवा निधि की तरफ से गंगा आरती को शाम 7 बजे की जगह दोपहर में 3 बजे संपन्न कराया गया. गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत ने बताया कि 27 साल के इतिहास में यह तीसरा मौका है, जब गंगा आरती अपने निर्धारित वक्त से पहले कराई जा रही है. इसके पहले 27 जुलाई 2018 को दिन में और 7 अगस्त 2017 को भी दोपहर 12 बजे गंगा आरती कराई गई थी, क्योंकि इस दौरान भी ग्रहण लगा था. दोपहर में गंगा आरती होने की वजह से आम दिनों की अपेक्षा भीड़ थोड़ी कम रही.