वाराणसी: पुलवामा में CRPF पर हुए आतंकी हमले में जवान रमेश यादव शहीद हो गए. शनिवार सुबह शहीद रमेश यादव का पार्थिव शरीर उनके गांव पहुंचा, लेकिन परिजनों ने शव यात्रा निकालने से इनकार कर दिया. इसके बाद केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा और राज्य मंत्री नीलकंठ तिवारी के लिखित आश्वासन के बाद ही शव यात्रा शुरू हो सकी.
मंत्री के लिखित आश्वानन के बाद माने शहीद रमेश के परिजन, शुरू हुई शवयात्रा - शहीद रमेश यादव की शव यात्रा
परिजनों का कहना था कि बड़े बेटे को बाहर से बुलाने की जिम्मेदारी भी लोकल प्रशासन ने ली थी, लेकिन अब तक बड़ा बेटा घर नहीं पहुंचा है, जिसकी वजह से परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना नहीं चाह रहे थे.
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शनिवार सुबह शहीद का शव उसके घर पर पहुंचने के बाद परिवार जन लगातार अंतिम संस्कार ना करने की जिद पर अड़े हुए थे. इसकी बड़ी वजह यह थी कि कर्नाटक में रहने वाला शहीद जवान रमेश यादव का बड़ा भाई राजेश उसके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सका है. लोकल प्रशासन ने आश्वासन दिया था कि राजेश को यहां तक लाने की जिम्मेदारी उनकी होगी लेकिन कल से वह गोवा एयरपोर्ट पर ही रुका रह गया. राजेश अब तक घर नहीं पहुंच सका, जिसकी वजह से परिवार में नाराजगी थी. परिवार रिंग रोड का नाम शहीद रमेश के नाम पर किए जाने, गांव के बाहर शहीद रमेश के नाम पर स्मृति द्वार बनवाने और परिवार में उसकी पत्नी और उसके भाई को सरकारी नौकरी देने के साथ मुआवजे की राशि को भी बढ़ाने की मांग करते हुए अड़ा रहा.
केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा यूपी से राज्य मंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी और अनिल राजभर शहीद के घर पहुंचे और काफी मान मनोबल के बाद परिवार माना. शहीद की शव यात्रा चौबेपुर के बलुआ घाट के लिए निकल चुकी है, जिसमें जबरदस्त भीड़ है. लगभग घाट जाने वाले 6 किलोमीटर के रास्ते पर जगह-जगह स्कूली बच्चों और लोगों की भीड़ शहीद रमेश यादव को नमन और श्रधांजलि देने के लिए उमड़ी है. वहीं परिवार की नाराजगी को लेकर केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा का कहना है कि शहादत का कोई मुआवजा नहीं होता, लेकिन परिवार की जो मांगे हैं उनको जल्द पूरा किया जाएगा.