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चंदौली में पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने खुद को बताया मदारी, कहा, 'डमरू बजता है तो बंदर नाचता है'

इन बयानों के जरिए पूर्व विधायक अपने प्रतिद्वंद्वी सुशील सिंह (विधायक) पर निशाना साधते दिखे. हालांकि उन्होंने नाम तो नहीं लिया पर जिन घटनाओं और विषयों को उन्होंने अपनी टिप्पणी में शामिल किया, वह सीधे-सीधे सुशील सिंह (विधायक) की ओर ही इशारा करते दिखे.

पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने खुद को बताया मदारी, कहा, 'डमरू बजता है तो बंदर नाचता है'
पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने खुद को बताया मदारी, कहा, 'डमरू बजता है तो बंदर नाचता है'

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Published : Sep 27, 2021, 12:42 PM IST

चंदौली:उत्तर प्रदेश चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, शब्दों की मर्यादा भी तारतार होती जा रही है. राजनीतिक दल और उनके प्रत्याशी-प्रतिनिधि जुबानी जंग में उलझ रहे हैं. खासकर सैयदराजा विधानसभा तो इसका अखाड़ा बनता जा रहा है. पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने एक बार फिर इशारों ही इशारों में अपने विपक्षी प्रतिद्वंद्वी पर निशाना साधा है.

सोशल मीडिया पर उनकी तरफ जारी ताजा बयान में खुद को मदारी और प्रतिद्वंद्वी नेता को बंदर बताया गया है. इसके बाद अब सियासी सरगर्मी बढ़ती दिखाई दे रही है. बता दें कि पूर्व विधायक मनोज ने अपने बयानों में नरायनपुर पंप कैनाल की घटना का जिक्र किया है.

पूर्व विधायक मनोज सिंह डब्लू ने खुद को बताया मदारी, कहा, 'डमरू बजता है तो बंदर नाचता है'

कहा, 'नमूना लोगों ने देखा है. नरायनपुर पंप कैनाल और गेंहू क्रय केंद्र पर डमरू बजते ही बंदर भागा. यही नहीं, आगे लगातार देखने को मिल रहा है कि डमरू बज रहा है और बंदर नाच रहा है. मेडिकल कॉलेज के लिए भी बंदर नाच रहा है. यहीं बंदर दिल्ली तक नाचते हुए भाग गया'.

मनोज सिंह डब्लू यहीं नहीं रुके. उन्होंने कहा, 'हमारे हिसाब से अभी भी बंदर ट्रेंड नहीं है. 20 सितंबर को सेना की तरफ से भर्ती किए जाने का लेटर जारी होता है और 24 तारीख को वह रक्षामंत्री से मिलकर सेना भर्ती कराए जाने की मांग करते है. ऐसे में लगता है कि बंदर को अभी और भी नाचने को जरूरत है'.

कहा कि इस सेना भर्ती को चंदौली में कराए जाने के लिए और प्रयास की जरूरत है. यदि सेना भर्ती को चंदौली में करवाने में कामयाबी मिलती है तो माना जाएगा कि बंदर ट्रेंड हो गया है.

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इन बयानों के जरिए पूर्व विधायक अपने प्रतिद्वंद्वी सुशील सिंह (विधायक) पर निशाना साधते दिखे. हालांकि उन्होंने नाम तो नहीं लिया पर जिन घटनाओं और विषयों को उन्होंने अपनी टिप्पणी में शामिल किया, वह सीधे-सीधे सुशील सिंह (विधायक) की ओर ही इशारा करते दिखे.

बता दें कि नरायणपुर पंप कैनाल स्थित पावर हाउस में फाल्ट की वजह से नहर में पानी नहीं था. इस पर पूर्व विधायक पंप कैनाल पहुंचे और निरीक्षण के साथ ही संबंधित अधिकारियों से बात कर जल्द पंप कैनाल चलाने की मांग की थी. दावा है कि उसके बाद विधायक सुशील सिंह समेत पूरा बीजेपी कुनबा मौके पर पहुंचकर इसे चालू करवाने में जुट गया.

इसके अलावा गेहूं क्रय केंद्रों पर किसानों की फसल की खरीद की बजाय बिचौलिये से हो रही खरीदारी के बाद क्रय केंद्रों पर पहुंचकर विधायक मनोज सिंह डब्लू ने जमकर हंगामा काटा. इसके बाद विधायक सुशील सिंह भी सक्रिय हो गए. किसानों की फसल की बिक्री सुनिश्चित करवाने में जुट गए.

राजनीतिक पृष्ठभूमि पर एक नजर

सैयदराजा विधानसभा क्षेत्र में तकरीबन हर जाति वर्ग के लोग रहते हैं. वर्तमान समय में सैयदराजा विधानसभा में कुल 321145 मतदाता हैं, जिसमें 175053 पुरुष मतदाता हैं तो वहीं महिला मतदाताओं की संख्या 146069 है. इस विधानसभा में थर्ड जेंडर के 23 मतदाता हैं.

सैयदराजा विधानसभा सीट राजनीतिक दृष्टि से पूर्वांचल की एक महत्वपूर्ण सीट रही है. पूर्व में इस विधानसभा का नाम चंदौली सदर विधानसभा हुआ करता था. बाद में नए परिसीमन के बाद इसका नाम सैयदराजा हो गया. आजादी के बाद 1952 में पहली बार इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए थे. कमलापति त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेल मंत्री रहे है.

दूसरी और तीसरी विधानसभा चुनाव में भी पंडित कमलापति त्रिपाठी विधायक चुने गए. लेकिन चौथी विधानसभा के चुनाव में लगातार 3 बार क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पंडित कमलापति त्रिपाठी को सोशलिस्ट पार्टी के चंद्रशेखर ने मात्र 397 वोटों से हरा दिया. पांचवीं विधानसभा के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस से पंडित कमलापति त्रिपाठी को विजय मिली.

आठवीं विधानसभा में चंदौली की सीट सुरक्षित हो गई और इस सीट पर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने श्यामदेव (कांग्रेस यू) को हरा दिया. 1985 में एक बार फिर कांग्रेस (आई) के संकठा प्रसाद शास्त्री ने जनता पार्टी के रामलाल को 23,672 वोटों से हराया था.

दसवीं विधानसभा में जनता दल के छन्नू लाल ने कांग्रेस के संकठा प्रसाद शास्त्री को हरा दिया. 1991 के विधानसभा में भाजपा के शिवपूजन राम ने पहली बार अपना परचम लहराया और दीनानाथ भाष्कर को मात्र 238 वोटों से हराया था. 1993 में 12वीं विधानसभा चुनाव में दीनानाथ भाष्कर ने भाजपा के रामजी गोंडगों को वोटों से हराया.

13वीं विधानसभा के चुनाव में भाजपा के शिवपूजन राम ने दोबारा जीत हासिल की. 2002 में जब 14वीं विधानसभा का चुनाव हुआ तो बसपा के शारदा प्रसाद ने सपा के राम उजागिर गोंड़गों को हराकर जीत हासिल की. 2007 में शारदा प्रसाद ने एक बार फिर सपा के राम उजागिर गोंड़गों को 8,506 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. 2012 में इस सीट का नाम बदल कर सैयदराजा (382) कर दिया गया.

यह सीट सामान्य हो गई. इस सीट से निर्दल प्रत्याशी मनोज सिंह डब्लू ने जेल से चुनाव लड़ रहे और माफिया डॉन बृजेश सिंह को हराया. 2017 के चुनाव में बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह सैयदराजा विधानसभा की सीट पर कब्जा जमा लिया.

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