वाराणसी:देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में देशभर के सनातनी जुटने वाले हैं. इन दिनों जिस तरह से सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणियां की जा रही हैं, उसे लेकर संत समाज काफी नाराज चल रहा है. ऐसे में बुधवार को एक कदम बढ़ाते हुए संस्कृति संसद 2023 का औपचारिक शुभारंभ किया गया. जिसमें देशभर के संत सनातन संस्कृति को लेकर चर्चा करने वाले हैं. इसके साथ ही उन सभी को जवाब देने की भी तैयारी हो रही है, जो लगातार विवादित बयान देते रहे हैं. इसके साथ ही संस्कृति संसद द्वारा पूरे विश्व को सनातनियों की एकता को भी प्रदर्शित करने का काम किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव ने काशी विद्यापीठ में शुभंकर का लोकार्पण कर संस्कृति संसद 2023 का औपचारिक शुभारंभ किया. इस दौरान अखिल भारतीय सन्त समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती व वैदिक विद्वान डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री भी मौजूद थे.
वैदिक विद्वान ने हिंदुओं को किया सचेत :इस दौरान वैदिक विद्वान डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री ने हिन्दुओं को सचेत रहने की बात कही. डॉ. ज्वलंत कुमार शास्त्री ने कहा कि अगर हिंदू सचेत नहीं हुए तो फिर 300 साल बाद साल 2300 तक आते-आते इस धर्म को अल्पसंख्यक का दर्जा मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति को बचाने में 4 विद्वानों का सबसे अहम योगदान रहा है. इनमें महामना पंडित मदन मोहन मालवीय, स्वामी श्रद्धानंद, लाला लालजपत राय और वीर दामोदार सावरकर हैं. हमें इनके विचारों और दी गई शिक्षा का पालन करना होगा.
सनातन पर वैचारिक हमले का दिया जाएगा जवाब:स्वामी जीतेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि संस्कृति संसद में सनातन के सभी 127 सम्प्रदाय के सन्तों का काशी आगमन हो रहा है. सरस्वती ने कहा कि सनातन उन्मूलन की चुनौती का उत्तर हिन्दू समाज सनातन विजय से देगा. टूलकिट के माध्यम से सनातन धर्म पर जो हमले किए जा रहे हैं, उनका मुंहतोड़ जवाब संस्कृति संसद में दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय सन्त समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद के मार्गदर्शन में गंगा महासभा के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. हिन्दुओं और सनातन को लेकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. बता दें कि BHU में ‘वेद व्याख्या पद्धति को स्वामी दयानंद सरस्वती की देन’ पर एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था.