वाराणसी: गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ोतरी पर है. गंगा पूरी तरह से अपने तटीय क्षेत्र के नजदीक रिहायशी इलाकों में प्रवेश कर गई है. गंगा से ज्यादा तबाही वरुणा नदी(Varuna River) मचा रही है. काफी बड़ी संख्या में लोग वरुणा नदी पार के क्षेत्रों से पलायन कर रहे हैं. सरैया, पुल कोहना, पुराना पुल समेत तमाम इलाके पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं. तेजी से गंगा के जलस्तर में हो रही बढ़ोतरी के कारण गंगा से सटे तमाम इलाकों और गलियों में अब नावे चलने लगी हैं.
अस्सी घाट पर गंगा का जलस्तर बढ़ने (Ganga water level at Assi Ghat) ) के कारण सड़क पर पानी बह रहा है जबकि दशाश्वमेध घाट पर गंगा सब्जी मंडी से आगे बढ़ते हुए सड़क तक आ चुकी है. मणिकर्णिका घाट पर सतुआ बाबा आश्रम के पास तक पानी पहुंच गया है और मणिकर्णिका घाट के रास्ते विश्वनाथ धाम के अंदर भी पानी प्रवेश कर रहा है. हालांकि मुख्य द्वार से अभी गंगा लगभग 10 सीढ़ी नीचे है क्योंकि उच्चतम बाढ़ स्तर पर बनाए जाने की वजह से गंगा का जलस्तर विश्वनाथ धाम के मुख्य चौक में प्रवेश नहीं कर पाया है लेकिन मणिकर्णिका पर बने पीछे के रास्ते पर गंगा विश्वनाथ धाम में प्रवेश कर गई है. (Rising water on Ghats of Banaras)
बढ़े जलस्तर का बनारस में कहर केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक आज दोपहर 12:00 बजे तक गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 71.26 मीटर से 56 सेंटीमीटर ऊपर 71.82 मीटर पर पहुंच चुका है. गंगा के जलस्तर में लगातार 1 सेंटीमीटर की दर से बढ़ोतरी अभी जारी है. जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से लोगों की मुसीबतें भी बढ़ती जा रही हैं. वहीं रविवार को बारिश होने के कारण ज्यादा परेशानी बढ़ गई है क्योंकि घर में पानी घुस जाने के कारण लोगों ने अपने आशियाने घरों की छत पर बना लिए थे. बारिश होने के कारण लोगों को दिक्कत झेलनी पड़ी है. आने वाले दो से तीन दिनों में पानी में भारी बढ़ोत्तरी होनी की आशंका है.
शवों के दाह संस्कार: फिलहाल मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर अंतिम संस्कार में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा(Cremation of dead bodies at Harishchandra Ghat) है. मणिकर्णिका घाट पर तो गलियों में पानी आने के बाद डेड बॉडी को नावों के जरिए छत पर दाह संस्कार(cremation on roof) के लिए ले जाया जा रहा है. वही, हरिश्चंद्र घाट पर भी शवों का दाह संस्कार गलियों में(Cremation of dead bodies in streets) हो रहा है. स्थिति बेकाबू हो रही है और प्रशासन अपने ही दावे कर रहा है. प्रशासनिक दावों पर यदि गौर करें तो जनपद के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों तथा राहत शिविरों में युद्ध स्तर पर राहत कार्य चलाया जा रहा है.
विश्वनाथ धाम के मुख्य द्वार से 10 सीढ़ी नीचे पानी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की संख्या: जनपद में चिन्हित बाढ राहत शिविर की कुल संख्या 40 है. क्रियाशील बाढ़ राहत शिविर की संख्या 18 हैं. बाढ़ राहत शिविर में आज कुल 601 परिवारों के 3109 लोग रूके हैं जिसमें 12 वर्ष से कम बच्चों की संख्या 916 एवं वृद्धों की संख्या 245 है. बाढ़ राहत शिविर में 3150 व्यक्तियो को भोजन सामग्री वितरित की गई.
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राहत सामग्री का वितरण: बाढ़ राहत शिविरों में आज वितरित 1050 पैकेट दूध पैकेट 1050, केला 1100 के साथ ही 745 खाद्यान्न सामग्री के राहत किट वितरित किए गए. राहत केन्द्रों पर रह रही महिलाओं,किशोरियों को वितरित डिग्निटी किट 318 व शिविरों हेतु कुल 40 मेडिकल टीम गठित किए गए हैं. आज 240 लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई गई. इसके साथ ही शिविर में अब तक 455 लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई. बाढ़ से प्रभावित पशुओं को 608 कुंतल भूसा वितरित करने के साथ ही आज 146 सहित अब तक 487 पशुओं का उपचार किया गया. राहत एवं बचाव कार्य के लिए 42 नावें लगाई गईं हैं. राहत शिविरों में पशु चिकित्साधिकारी तैनात किये गये हैं. बाढ़ राहत शिविरों में साफ बिस्तर, प्रकाश, शौचालय, मेडिकल, सुरक्षा आदि की व्यवस्था की गयी है.
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