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वाराणसी: मंदिर में दिखी देश की अखंडता, पहली बार कई राज्यों से आये फूलों से सजे बटुक भैरव - batuk bhairav

यूपी के वाराणसी में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने की खुशी और देश की अखंडता के लिए पहली बार बटुक भैरव का श्रृंगार देश के कई राज्यों से आये फूलों से किया गया. वहीं, मंदिर में सजाई गई झांकी से कश्मीर का नजारा देखने को मिला.

पहली बार कई राज्यों से आये फूलों से सजे बटुक भैरव

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Published : Aug 25, 2019, 2:26 PM IST

वाराणसी: काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा बटुक भैरव मंदिर में अनुच्छेद 370 हटने की खुशी और देश की अखंडता नजर आई. मंदिर में ऐसा पहली बार देखने को मिला जब बटुक भैरव का श्रृंगार कश्मीर, उत्तराखंड, केरल सहित देश की तमाम जगहों से मंगाये गए फूलों से किया गया. इसके अलावा मंदिर में सजाई गई झांकी के माध्यम से कश्मीर का नजारा देखने को मिला.

पहली बार कई राज्यों से आये फूलों से सजे बटुक भैरव.

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खास तरीके से किया गया श्रृंगार

कमच्छा स्थित बटुक भैरव मंदिर हरियाली श्रृंगार बहुत ही खास तरीके से किया गया. गर्भ गृह में स्थित बाबा बटुक भैरव कमल के आसन पर आसीन दिखे. सुबह मंगला आरती के साथ पूरे विधि विधान से बाबा का पूजन किया गया. उसके बाद से दर्शन के लिए कपाट खोले गए. सुबह से ही भक्त बाबा की एक झलक पाने के लिए घंटों लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे.

देखने को मिली गंगा-जमुनी तहजीब

बाबा बटुक भैरव मंदिर में गंगा जमुनी तहजीब भी देखने को मिली. जहां अलग-अलग जगहों से मंगाए गए फूलों से बटुक भैरव श्रृंगार किया गया. वहीं, भारत रत्न शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के परिवार वालों ने शहनाई बजा कर बाबा के हरियाली श्रृंगार की शुरुआत कराई.

बाबा बटुक भैरव का हरियाली सिंगार है. अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद देश अखंडता की ओर बढ़े. ऐसे में हम लोगों ने झांकी के माध्यम से कश्मीर को यहां पर दर्शाया है. इसके साथ ही कश्मीर से लेकर उत्तराखंड से लेकर केरल से लेकर फूल से बाबा को सजाया गया है.

भास्कर पुरी, महंत

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