वाराणसी: ग्रहों की चाल का असर हमेशा से पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव पर पड़ता है, लेकिन कुछ ऐसी खगोलीय घटनाएं होती हैं, जिसे ज्योतिष शास्त्र में अति महत्वपूर्ण मानते हुए ग्रहों की स्थिति के साथ आकलन कर यह स्पष्ट किया जा सकता है. रविवार 21 जून को पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. ज्योतिषियों की मानें तो इस सूर्य ग्रहण का व्यापक असर पृथ्वी पर पड़ने वाला है.
साल का पहला सूर्यग्रहण
रविवार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण साल का पहला सूर्य ग्रहण होगा. ज्योतिष इसे एक बड़ी खगोलीय घटना की दृष्टि से देख रहे हैं. यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा. सूर्य ग्रहण रविवार को सुबह 10 बजकर 13 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 49 मिनट तक रहेगा. इसे देहरादून, मसूरी, कुरुक्षेत्र और टिहरी आदि में सूर्य वलयाकार रूप में देखा जा सकता है, जबकि अन्य स्थानों पर आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकेगा. राजधानी दिल्ली में भी लगभग रिंग ऑफ फायर का नजारा देखा जा सकेगा.
देश की सीमाओं पर पड़ सकता है व्यापक असर
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि दैवज्ञ ज्योतिषी आचार्य वराहमिहिर चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक थे. उनके बताए ज्योतिष सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं. उन्हीं के बताए ज्योतिष सिद्धांतों पर आज भी ज्योतिष विद्या टिकी हुई है और देश-दुनिया के तमाम ज्योतिषी इसका पालन भी करते हैं. छठवीं शताब्दी में वराह मिहिर की ओर से रचित बृहत्संहिता ग्रंथ के राहुचारा अध्याय के श्लोक संख्या 77 में जो कुछ लिखा है. उन्होंने लिखा कि यदि आषाढ़ मास में सूर्य ग्रहण पड़ता है तो भारत की सीमा से सटे दूसरे देशों खासतौर पर अफगानिस्तान के कंधार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर का भू-भाग और चीन के लिए काफी विनाशकारी स्थिति बन सकती है. यही नहीं युद्ध जैसे हालात पैदा होंगे.