वाराणसी:आज 19 जून को फार्दस डे देश भर में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) ने अपने पापा के हौसलों की दाद देते हुए एक मैसेज दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें मोहब्बत है अपनी सभी उंगलियों से, मेरे पापा ने न जाने कौनसी उंगली को छूकर मुझे चलना सिखाया होगा. सुमेधा की यह लाइन पिता के हौसलों की उस कहानी को बयां करती हैं, जिसमें एक पिता का प्यार, दुलार और जिम्मेदारी झलकती है.
आज हम आपको एक ऐसे पिता के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी बेटी के हौसलों को ऐसे उड़ान दी, कि आज वह बेटी अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं. इसमें खास बात यह है कि वह बेटी दिव्यांग की जिंदगी व्यतीत कर रही हैं. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा पाठक (International Shooter Sumedha) अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं. बता दें, कि सुमेधा ने फ्रांस में आयोजित पैरा वर्ल्ड कप निशानेबाजी में रजत पदक हासिल किया. लेकिन सुमेधा की जीत के पीछे एक कहानी है. उनके पिता बृजेश पाठक ने कैसे उनको इस मुकाम तक पहुंचाया. देखिये यह खास रिपोर्ट.
सुमेधा कैसे बनीं अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज: वाराणसी के साकेत नगर कॉलोनी निवासी बृजेश पाठक एक सामान्य व्यवसायी हैं. उन्होंने बताया कि उनकी एक बेटी और बेटा का खुशहाल परिवार है. अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज सुमेधा (International Shooter Sumedha) को देश भर में पहचान मिली है. सुमेधा अपनी पढ़ाई कर रहीं थी. तभी साल 2013 में वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई. सुमेधा के पिता ने बताया कि उन्हें रीढ़ की हड्डी में इंफेक्शन हो गया था. इसलिए उसके शरीर का निचला हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था. सुमेधा के इलाज का लंबा सिलसिला शुरू हुआ. वहीं, उनका परिवार इस बीमारी के चलते हताश हो गया था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी.