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बेघर होने की कगार पर शहीद के परिजन, झूठे वादों पर कट रही जिंदगी

पुलवामा हमले की घटना को पूरा एक साल गुजर गया है. देशभर में आज इस घटना को याद करते हुए शहीदों को नमन किया जा रहा है. इस हमले में वाराणसी के रमेश यादव 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले में शहीद हुए थे. वहीं अब इस शहीद जवान का घर बेघर होने के कागार पर है और प्रशासन इनकी ओर ध्यान भी नहीं दे रही है.

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Published : Feb 14, 2020, 3:50 PM IST

शहीद के माता-पिता हो रहे बेघर
शहीद के माता-पिता हो रहे बेघर

वाराणसी: क्या आप उम्मीद कर सकते हैं कि जिस सरकार ने राष्ट्रवाद और देशभक्ति के नारों को बुलंद किया हो, उसी सरकार में एक शहीद का परिवार बेघर होने को है. पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में ऐसा ही एक परिवार अधूरे वादों के पूरा होने के इंतजार कर रहा है.

वाराणसी के तोफापुर गांव निवासी रमेश यादव 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले में शहीद हुए थे. पुलवामा हमला 2019 के लोकसभा चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा था. देशभक्ति और राष्ट्रवाद के नारे के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए की राष्ट्रवादी सरकार ने सत्ता में वापसी भी की.

शहीद के माता-पिता हो रहे बेघर.

अधिकारियों के वादे अधूरे

रमेश यादव की शहादत के बाद उनके गांव पहुंचे केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों ने कई वादों की झड़ी लगा दी थी. इन वायदों में शहीद की पत्नी और बड़े भाई को नौकरी, जर्जर मकान की मरम्मत, शहीद की याद में स्मृति द्वार, स्मारक और सड़क जैसे वादे शामिल थे. इन में से कुछ वादे पूरे भी हुए, लेकिन अधिकतर अभी भी अधूरे हैं.


सरकार की तरफ से रमेश की विधवा हो चुकी पत्नी को वाराणसी के डीएम ऑफिस में नौकरी दी जा चुकी है. वे इस दबाव में ज्यादा कुछ बोलने से बचती हैं. उनका कहना है, जिस औरत का पति शहीद हो चुका है, उसका सबकुछ वैसे ही खत्म हो चुका होता है. कोई भी सहायता उसकी भरपाई नहीं कर सकती. ढाई साल का बेटा है, उसे तो यह भी नहीं पता कि उसके पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं.


बेघर होने को है शहीद के परिवार
शहीद के पिता श्याम नारायण यादव का कहना है कि उनके हिस्से का मकान पट्टीदारी के बंटवारे में उनके भाइयों के नाम हो चुका है. इस बंटवारे के चलते मकान के नाम पर बने दो कमरे तोड़ दिए जाएंगे. शहीद रमेश की मां राजमती देवी का कहना है कि सरकार अगर वादा पूरा कर देती तो परिवार के सिर पर छत बनी रहती. रमेश के पिता ने बताया कि एक दिन एक अधिकारी आया था और उसने मोबाइल पर परिवार के लिए मकान की मंजूरी दिए जाने का आदेश दिखाया था. हालांकि वे उस अधिकारी का नाम नहीं याद कर पाते हैं और न ही इससे सम्बंधित कोई आदेश दिखा पाते हैं.


रोड बनवाने के वादे अधूरे
इसके अलावा रमेश यादव की याद में गांव में एक सड़क बनाने का वादा भी किया गया था. वह भी अभी पूरा नहीं हो सका है. जहां से सड़क रमेश यादव के घर तक जानी है, उसके बीच से अब रिंग रोड फेज-2 की सड़क गुजरेगी. इससे यह रोड बीच रास्ते में ही बंद हो जाएगी. इसको लेकर गांव वाले नाराजगी भी जाहिर कर रहे हैं.

शहीद के परिवार को मकान दिए जाने के बारे में वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में लिस्ट काफी पहले बन चुकी है, इसलिए मकान नहीं मिला होगा. हाल ही में उस इलाके के कुछ गांव नगर निगम के दायरे में आ गए हैं. अगर ऐसा है तो शहरी क्षेत्र के लिए पीएम आवास योजना में परिवार को मकान दिलाए जाने का पूरा प्रयास किया जाएगा.


मकान देने से किया गया इनकार
इस मामले में यूपी के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर नियमों का हवाला देते हुए मकान की बात से साफ इनकार कर देते हैं. जबकि केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने बस इतना ही कहा कि वे डीएम से बात करके ही इस मामले में कुछ कहेंगे.

पिता ने जाहिर की नाराजगी

रमेश यादव की शाहदत के बाद यूपी सरकार के मंत्री अनिल राजभर ने श्याम नारायण यादव से बड़े बेटे को भी नौकरी देने का वादा किया था. रमेश के पिता आरोप लगाते हैं कि मंत्री जी अपना वादा भूल गए. समय के साथ सभी नेता अपने किए वादे भूल चुके हैं. उनके मुताबिक कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने भी कर्नाटक में सरकारी की नौकरी दिलाने का वादा किया था, लेकिन रमेश के बड़े भाई राजेश की नौकरी के बारे में भी यूपी के कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर अब नियमों का हवाला देते हैं. उन्होंने बताया, शहीद रमेश यादव की पत्नी को नौकरी मिल चुकी है. सरकार के नियमों में परिवार के किसी और सदस्य को नौकरी देने का प्राविधान नहीं है.

रमेश के बड़े भाई राजेश कहते हैं कि सरकार अगर चाहे तो भाई की तरह मैं भी सेना में जाना चाहता हूं. राजेश अपने छोटे भाई की मौत के समय बंगलुरु में नौकरी कर रहे थे. इस समय वे दूध के सीमित व्यापार में अपने पिता की मदद करते हैं.

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