वाराणसी: पर्यटन की दृष्टि से बनारस बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है. इसके साथ ही सबसे पुराने जीवंत शहरों में भी बनारस पहले स्थान पर है. यहां के गंगा घाट, घाट के किनारे मौजूद पुरानी इमारतें हर किसी को आकर्षित करते हैं. घाटों को छूकर बहती गंगा और इन घाटों पर चहलकदमी करते हुए कई किलोमीटर लंबे सफर को पूरा करते हुए बनारस का असली आनंद लेने के लिए ही पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन अब बनारस की इस पहचान यानी गंगा घाट पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.
घाटों से दूर हो रही मां गंगा
- तेजी से गंगा का कम हो रहा जल स्तर घाटों के नीचे मौजूद बालू की सतही परत को अब खिसका रहा है, जिसकी वजह से गंगा घाट अब बैठना शुरू हो चुके हैं.
- ऐसे हालात सिर्फ एक या दो घाट के नहीं बल्कि दो दर्जन से ज्यादा घाटों के हो चुके हैं.
- सबसे ज्यादा बुरी स्थिति भैसासुर घाट, ग्वालियर घाट, बूंदी परकोटा घाट, गंगा महल घाट, संकट्ठा घाट, सिंधिया घाट समेत भदैनी और तुलसी घाट से सटे अन्य घाटों की है.
- गंगा घाटों के किनारे की सीढ़ियां टेढ़ी-मेढ़ी होकर बैठने लगी हैं.
- गंगा जिस घाट को छूकर बहती है, उसके नीचे का पूरा इलाका पूरी तरह से खोखला हो चुका है.
- इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और गंगा पर काफी रिसर्च कर चुके नदी वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी का कहना है कि गंगा के कम हो रहे जलस्तर की वजह से आने वाले समय में यह संकट गहरा सकता है.