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वाराणसी: घाटों पर मंडरा रहे संकट के बादल, तेजी से कम हो रहा गंगा का जलस्तर - water level of ganga is decreasing in varanasi

बनारस की पहचान यानी गंगा घाट पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खुद काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एक्सपर्ट्स का मानना है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि तेजी से गंगा का कम हो रहा जल स्तर घाटों के नीचे मौजूद बालू की सतही परत को अब खिसका रहा है, जिसकी वजह से गंगा घाट अब बैठने लगे हैं.

घाटों से दूर हो रही मां गंगा.

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Published : Jun 14, 2019, 1:53 PM IST

वाराणसी: पर्यटन की दृष्टि से बनारस बहुत ही महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है. इसके साथ ही सबसे पुराने जीवंत शहरों में भी बनारस पहले स्थान पर है. यहां के गंगा घाट, घाट के किनारे मौजूद पुरानी इमारतें हर किसी को आकर्षित करते हैं. घाटों को छूकर बहती गंगा और इन घाटों पर चहलकदमी करते हुए कई किलोमीटर लंबे सफर को पूरा करते हुए बनारस का असली आनंद लेने के लिए ही पर्यटक यहां पहुंचते हैं, लेकिन अब बनारस की इस पहचान यानी गंगा घाट पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं.

घाटों से दूर हो रही मां गंगा.

घाटों से दूर हो रही मां गंगा

  • तेजी से गंगा का कम हो रहा जल स्तर घाटों के नीचे मौजूद बालू की सतही परत को अब खिसका रहा है, जिसकी वजह से गंगा घाट अब बैठना शुरू हो चुके हैं.
  • ऐसे हालात सिर्फ एक या दो घाट के नहीं बल्कि दो दर्जन से ज्यादा घाटों के हो चुके हैं.
  • सबसे ज्यादा बुरी स्थिति भैसासुर घाट, ग्वालियर घाट, बूंदी परकोटा घाट, गंगा महल घाट, संकट्ठा घाट, सिंधिया घाट समेत भदैनी और तुलसी घाट से सटे अन्य घाटों की है.
  • गंगा घाटों के किनारे की सीढ़ियां टेढ़ी-मेढ़ी होकर बैठने लगी हैं.
  • गंगा जिस घाट को छूकर बहती है, उसके नीचे का पूरा इलाका पूरी तरह से खोखला हो चुका है.
  • इस बारे में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और गंगा पर काफी रिसर्च कर चुके नदी वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी का कहना है कि गंगा के कम हो रहे जलस्तर की वजह से आने वाले समय में यह संकट गहरा सकता है.

जो गंगा पहले घाटों के नीचे से होते हुए बहती थी, अब घाटों को छोड़ते हुए काफी पीछे जा चुकीं हैं. गंगा के घाटों के नीचे बहने से घाट सुरक्षित रहते थे. गंगा घाटों के नीचे से स्पर्श करके बहा करती थी, जिससे वहां मौजूद बालू की सतही परत खिसकने लगी है, इस कारण धीरे-धीरे घाट बैठते जा रहे हैं. गंगा के वास्तविक रूप से हो रही छेड़छाड़ और हरिद्वार समेत अन्य जगहों पर गंगा को रोके जाने के कारण आज यह स्थिति वाराणसी में देखने को मिल रही है.आज गंगा में पानी है ही नहीं, जिसकी वजह से गंगा की धारा मुड़ गई है.

-प्रोफेसर बीडी त्रिपाठी, नदी वैज्ञानिक

  • गंगा अब सीढ़ियों की बजाय उनके नीचे की मिट्टी से टकराने लगी है, जिसकी वजह से कटान हो रहा है और घाट बैठ रहे हैं.
  • नमामि गंगे योजना के तहत 28 घाटों के सुंदरीकरण के लिए 10 करोड़ का बजट पिछली मोदी सरकार में पास हुआ है, जिस पर काम भी चल रहा है.

प्रो. बीडी त्रिपाठी का कहना है जब तक गंगा में पानी नहीं बढ़ेगा, तब तक काशी के घाटों का अस्तित्व संकट में है. और यही हालात रहे तो आने वाले दिनों में गंगा घाट समेत उसके आसपास मौजूद इमारतें भी धीरे-धीरे बैठना शुरू हो जाएंगी.

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