वाराणसी: शहर बनारस जिसके 5000 साल से भी पुराने होने की बात कही जाती है. पुराणों से लेकर अन्य दस्तावेजों में भी इस शहर को वर्तमान में रूप से भी पुराना जीवंत शहर माना जाता है. यही वजह है कि यहां कई हजार साल पुराने शहर होने के प्रमाण भी जमीन की गहराइयों में दफन हैं. इनको अब बाहर निकालने का काम शुरू हो चुका है.
इसकी शुरुआत वैसे तो सारनाथ से हुई, लेकिन अब शहर से लगभग 17 किलोमीटर की दूरी पर बसे बभनियाव गांव में एक के बाद एक पुरातन स्थल सामने आ रहे हैं. जमीन के अंदर से पुरातन जीवन के साक्ष्य मिलने के बाद बहुत सी चीजें स्पष्ट होने लगी.
3500 साल पुरानी मिली मूर्तियां
बभनियाव गांव में चल रही खुदाई के अवशेषों की प्राचीनता को इतिहास व पुरातत्वविद अब सारनाथ स्थित बौद्ध स्थल से भी पुराना मानने लगे हैं. यहां से प्राप्त हुई मूर्तियां, बर्तन लगभग 3500 साल पुराने काल में रह रहे लोगों के प्रमाण मिलने के बाद चीजें स्पष्ट हो रही हैं. बभनियाव गांव में हाल ही में जब खुदाई शुरू हुई तो शिल्पग्राम होने की पूरी संभावना जताई जा रही थी. इसको आगे बढ़ाते हुए खुदाई का काम शुरू किया गया.
केंद्र सरकार से ली गई खुदाई की परमिशन
बीएचयू पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने लगातार मिल रही चीजों को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार को लेटर लिखकर खुदाई की परमिशन मांगी. पुरातत्व विभाग और पुरातन इतिहास विभाग की टीम ने यहां पर परमिशन मिलने के बाद खुदाई का काम शुरू भी कर दिया. खुदाई का काम शुरू होने के बाद एक के बाद एक दो स्थलों से कुछ ऐसी चीजें मिली है, जो बहुत कुछ साफ कर रहे हैं. जमीन के अंदर एक उपासना स्थल और शहर के होने के प्रमाण सामने आए हैं. उपासना स्थल में एक मुखी गुप्तकालीन शिवलिंग जिसमें शिव की जटा स्पष्ट दिख रही हैं. खुदाई के दौरान भट्टी के साथ दीवारें भी मिली है, जो लगभग 8 वीं से 9 वीं सदी की बताई जा रही हैं. लगभग 1500 साल पुरानी, इसके अतिरिक्त दूसरे स्थान पर मिली एक दीवार लगभग 2200 साल पुरानी बताई जा रही है.