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जब पर्यटन स्थलों के बाहर रहेंगे गंदगी के अंबार...तो काशी कैसे बनेगी क्योटो

यूपी के वाराणसी में दुनिया के कोने-कोने से सैलानी पहुंचते हैं. ऐसे में सरकार की मंशा रहती है कि उनके सामने बनारस की ऐसी छवि प्रस्तुत की दाए, जिसे वह जहां कहीं भी जाएं, वहां लोगों को बनारस की खूबसूरती बता सकें. इसलिए यहां कचरा प्रबंधन के लिए चार अलग-अलग प्लांट तैयार किए गए थे, ताकि शहर में लोगों को गंदगी न मिले. लेकिन सच्चाई यह है कि हालात जस के तस हैं. ऐसे में सवाल ये है कि काशी क्योटो बनेगी? आगे पढ़िए ईटीवी भारत का पूरी रिपोर्ट...

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Published : Oct 3, 2020, 7:36 AM IST

Updated : Oct 3, 2020, 9:58 AM IST

वाराणसी में सफाई व्यवस्था के हाल बेहाल.
वाराणसी में सफाई व्यवस्था के हाल बेहाल.

वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी सैलानियों की पसंदीदा जगह है. देशी सैलानी हो या विदेशी, बनारस सबको खूब भाता है. यही वजह है कि बनारस में हर समय सैलानियों की संख्या ठीक-ठाक बनी रहती है, लेकिन इन सबके बीच सबसे जरूरी होता है टूरिस्ट प्लेसेस के बाहर स्वच्छता और साफ-सफाई मुहैया कराना. बनारस में नगर निगम और टूरिस्ट डिपार्टमेंट इसके लिए कई तरह के प्लान तैयार कर स्वच्छता की बात तो कर रहा है, लेकिन शहर के कई टूरिस्ट स्पॉट के बाहर हालात बेहद खराब हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने नगर निगम और टूरिस्ट डिपार्टमेंट से यह जानने की कोशिश की कि होटलों, रेस्टोरेंट्स और तमाम स्थानों से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन को लेकर उनके पास क्या प्लान हैं?

वाराणसी में सफाई व्यवस्था के हाल बेहाल.


कचरा प्रबंधन के लिए तैयार किए गए थे चार प्लांट
बता दें, वाराणसी में स्वच्छता की जिम्मेदारी नगर निगम की है. कागजों पर यदि प्लानिंग की बात करें तो 2016 में कचरा प्रबंधन के लिए इंदौर की तर्ज पर व्यस्त एनर्जी प्लांट लगाए जाने की योजना तैयार की गई थी. इतना ही नहीं, कचरा प्रबंधन के लिए चार अलग-अलग प्लांट तैयार किए गए. शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कचरा प्रबंधन के लिए करसड़ा प्लांट बनाकर यहां शहर से निकलने वाले 600 मीट्रिक टन कचरे को निस्तारित करने का काम शुरू किया गया. इसके लिए शहर की गलियों और कॉलोनियों से हाथ गाड़ी के जरिए कचरा इकट्ठा कर इस प्लांट तक बड़े-बड़े ट्रकों के जरिए पहुंचाने की प्लानिंग हुई. इस प्लान को अमल में लाया गया, लेकिन शहर में कचरे का अंबार घटने का नाम ही नहीं ले रहा है.

शहर के होटल और रेस्टोरेंट्स का कचरा जाता है शहर के डंपिंग ग्राउंड में

गौरतलब है कि शहर में लगभग 300 से ज्यादा होटल और 450 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स और ढाबे हैं. इनसे निकलने वाला रोज का कचरा प्लांट पर पहुंचने से पहले ही शहर में बने डंपिंग ग्राउंड पहुंच जाता है, जहां वह आवारा और छुट्टा जानवरों की भीड़ को इकट्ठा करने की वजह बन जाता है. यहां आने वाले सैलानियों को इन मुसीबतों से दो-चार भी होना पड़ता है.


भारत माता मंदिर से सटा है नगर निगम का एक डंपिंग ग्राउंड
बनारस के हालात यह है कि यहां आने वाले सैलानियों के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण टूरिस्ट प्वाइंट हैं, उनके बाहर ही कई डंपिंग ग्राउंड बना दिए गए हैं. शहर में महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में भारत माता मंदिर को जाना जाता है. इस मंदिर के ठीक बाउंड्री वॉल के बाहर नगर निगम का एक डंपिंग ग्राउंड है. इसके अलावा बनारस के गंगा घाट में सबसे महत्वपूर्ण दशाश्वमेध घाट पर पहुंचने से पहले ही यहां आने वाले सैलानियों को कचरे से रूबरू होना पड़ता है. यहां भी नगर निगम ने कचरा डंपिंग ग्राउंड बनाकर कचरे को यहां से प्लांट में भेजने की कवायद शुरू की है, जिसके बाद यहां आने वाले सैलानियों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

शहर में हैं 23 डंपिंग ग्राउंड

शहर में ही कचरे के डंपिंग ग्राउंड के रूप में डेवलप हुए 23 अलग-अलग स्पॉट यहां आने वाले सैलानियों के आगे शहर की सूरत को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. इस बारे में नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि प्लानिंग करके बेहतर तरीके से काम करने की कोशिश है. गलियों और कॉलोनियों से छोटी गाड़ियों के जरिए कूड़ा इकट्ठा कर दूसरे स्पॉट पर भेजा जाता है. व्यवस्था सुचारू रहे, इसका पूरा ख्याल रखा जाता है. वहीं यहां आने वाले सैलानियों का कहना है कि बनारस में स्वच्छता और साफ-सफाई की बेहद जरूरत है.

क्या बोले जिम्मेदार

पर्यटन विभाग के अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव का कहना है कि नगर निगम की यह पहली जिम्मेदारी है, क्योंकि पर्यटन विभाग अपने स्तर पर यहां आने वाले सैलानियों को स्वच्छता के लिए समय-समय पर जागरूक करते हैं, ताकि गंदगी ना फैले. वहीं अगर ऐसी स्थिति है तो नगर निगम को इस बारे में अवगत करा कर आवश्यक कार्रवाई करवाई जाएगी.

Last Updated : Oct 3, 2020, 9:58 AM IST

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