वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी वाराणसी सैलानियों की पसंदीदा जगह है. देशी सैलानी हो या विदेशी, बनारस सबको खूब भाता है. यही वजह है कि बनारस में हर समय सैलानियों की संख्या ठीक-ठाक बनी रहती है, लेकिन इन सबके बीच सबसे जरूरी होता है टूरिस्ट प्लेसेस के बाहर स्वच्छता और साफ-सफाई मुहैया कराना. बनारस में नगर निगम और टूरिस्ट डिपार्टमेंट इसके लिए कई तरह के प्लान तैयार कर स्वच्छता की बात तो कर रहा है, लेकिन शहर के कई टूरिस्ट स्पॉट के बाहर हालात बेहद खराब हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने नगर निगम और टूरिस्ट डिपार्टमेंट से यह जानने की कोशिश की कि होटलों, रेस्टोरेंट्स और तमाम स्थानों से निकलने वाले कचरे के प्रबंधन को लेकर उनके पास क्या प्लान हैं?
कचरा प्रबंधन के लिए तैयार किए गए थे चार प्लांट
बता दें, वाराणसी में स्वच्छता की जिम्मेदारी नगर निगम की है. कागजों पर यदि प्लानिंग की बात करें तो 2016 में कचरा प्रबंधन के लिए इंदौर की तर्ज पर व्यस्त एनर्जी प्लांट लगाए जाने की योजना तैयार की गई थी. इतना ही नहीं, कचरा प्रबंधन के लिए चार अलग-अलग प्लांट तैयार किए गए. शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर कचरा प्रबंधन के लिए करसड़ा प्लांट बनाकर यहां शहर से निकलने वाले 600 मीट्रिक टन कचरे को निस्तारित करने का काम शुरू किया गया. इसके लिए शहर की गलियों और कॉलोनियों से हाथ गाड़ी के जरिए कचरा इकट्ठा कर इस प्लांट तक बड़े-बड़े ट्रकों के जरिए पहुंचाने की प्लानिंग हुई. इस प्लान को अमल में लाया गया, लेकिन शहर में कचरे का अंबार घटने का नाम ही नहीं ले रहा है.
शहर के होटल और रेस्टोरेंट्स का कचरा जाता है शहर के डंपिंग ग्राउंड में
गौरतलब है कि शहर में लगभग 300 से ज्यादा होटल और 450 से ज्यादा रेस्टोरेंट्स और ढाबे हैं. इनसे निकलने वाला रोज का कचरा प्लांट पर पहुंचने से पहले ही शहर में बने डंपिंग ग्राउंड पहुंच जाता है, जहां वह आवारा और छुट्टा जानवरों की भीड़ को इकट्ठा करने की वजह बन जाता है. यहां आने वाले सैलानियों को इन मुसीबतों से दो-चार भी होना पड़ता है.