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One Country-One Almanac: एक देश-एक पंचांग की तैयारी, केरल से लेकर कश्मीर तक एक ही दिन पूरे देश में मनेंगे सभी त्योहार - special memory almanac

काशी के विद्वान त्योहार की तिथियों में भिन्नता देखते हुए एक देश एक पंचांग बनाने(One Country One Calendar) की तैयारी कर रहे हैं. नवंबर में बड़ी बैठक करने के बाद कश्मीर से केरल तक के लिए एक विशेष स्मृति पंचांग (special memory almanac) तैयार होगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 29, 2023, 8:11 PM IST

वाराणसी: कभी उदया तिथि तो कभी तिथि में भिन्नता, हर त्यौहार दो दिन मनाए जाने की वजह से आ रही दिक्कतों को देखते हुए वाराणसी में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी चल रही है. धर्म की नगरी काशी में एक ऐसा पंचांग तैयार करने पर विचार किया जा रहा है. जिसमें व्रत त्योहार और तिथियां से भ्रम की स्थिति दूर होगी. इसकी शुरुआत वाराणसी श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की तरफ से की जा रही है. जिसके तहत न्यास परिषद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने BHU के ज्योतिषाचार्यों व तमाम धर्माचायर्यों के साथ मिलकर कश्मीर से केरल तक एकरूपता लेकर एक नया पंचांग निकालने का निर्णय लिया है.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अध्यक्ष प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय.
महाकुंभ में नई स्मृति का लोकार्पण करने की तैयारी:इस बारे में प्रोफेसर नागेंद्र पांडेय का कहना है कि प्रयागराज महाकुंभ में नई स्मृति का लोकार्पण करने की तैयारी की जा रही है. इससे एक देश एक पंचांग का निर्माण होगा. इस स्मृति के निर्माण के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय को मुख्य केंद्र में रखा गया है. काशी के विद्वानों से आह्वान किया गया है कि नवंबर में वह स्मृति निर्माण समिति की पहली बैठक में शामिल हो. इसलिए धर्माचार्य धर्म शास्त्रों के जानकार ज्योतिष वेद के अलावा पंचांग कारों को भी इस बैठक में शामिल किया जाएगा.नई स्मृति के निर्माण का कार्य किया जाएगाः काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग और वैदिक विज्ञान केंद्र में ही स्मृति निर्माण के लिए प्रस्ताव रखा जाएगा. उन्होंने बताया कि प्राचीन धर्म ग्रंथो और पुराने स्मृति को आधार बनाते हुए उसकी जांच करने के बाद नई स्मृति के निर्माण का कार्य किया जाएगा. इसमें तर्कसंगत मत और परंपराओं का भी ध्यान दिया जाएगा. नई स्मृति को आधार बनाकर जब पंचांग का निर्माण होगा, तो कश्मीर से केरल तक तिथि त्योहार और व्रत में भ्रम की स्थिति नहीं होगी.

उत्तर से दक्षिण तक की परंपराओं व शास्त्रों का समावेश होगाःप्रोफेसर नागेंद्र पांडेय ने बताया कि पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक की परंपराओं और धर्म शास्त्रों का समावेश करते हुए इस स्मृति पंचांग को तैयार किया जाएगा. आज अलग-अलग पंचांग और अलग-अलग ज्योतिषियों की तरफ से चीज बताए जाने की वजह से दीपावली, होली, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी जैसे पर्व विवाद की वजह से 2 दिन मनाए जाने लगे हैं, जो सही नहीं है. काशी विद्वत परिषद प्रदोष व्यापिनी तिथि का समर्थन करती है. उनका कहना है 2 दिन पड़ रहा कोई भी त्यौहार दिक्कत की वजह बनता है. इसलिए इन चीजों को आधार बनाकर निर्णय करने की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि स्मृति का तात्पर्य धर्म, दर्शन आचार व्यवहार आदि से संबंध रखने वाले प्राचीन हिंदू धर्म शास्त्र जिनकी रचना ऋषि मुनियों ने की थी. इस प्राचीन हिंदू विधि संहिता भी कहा जाता है. इसके आधार पर तिथि त्योहार और व्रत का निर्धारण किया जाता है.

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