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वाराणसी: टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने के लिए डीएम ने स्वयंसेवी संस्थाओं का किया आह्वान - टीबी ग्रसित बच्चे

यूपी के वाराणसी जिल में जिलाधिकारी ने स्वयं सेवी संस्थाओं के साथ बैठक की. इस बैठक में उन्होंने संस्थाओं से आह्वान किया कि वह टीबी और कुपोषित बच्चों को गोद लें. जिससे पीड़ित बच्चे और परिवार सशक्त महसूस करें.

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स्वंय सेवी संस्थाओं के साथ डीएम की बैठक.

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Published : Oct 23, 2020, 3:54 PM IST

वाराणसीः जिलाधिकारी कौशलराज शर्मा द्वारा जिले की स्वयं सेवी संस्थाओं की बैठक की गई. जहां उन्होंने सभी स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आकर टीबी और कुपोषित बच्चों को गोद लेने और अन्य सामाजिक कार्यों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का आह्वान किया.

उन्होंने संस्थाओं के पदाधिकारियों को बताया कि शासन प्रशासन द्वारा ग्रामीण और शहर क्षेत्रों में आंगनवाड़ी केन्द्रों के द्वारा बच्चों की देखभाल, पोषाहार का वितरण, गर्भवती माताओं की देखभाल, किशोरियों को स्वच्छता की जानकारी देना, नवजात शिशुओं और माताओं को स्वास्थ्य एवं शिक्षा, साफ-सफाई जानकारी देने का कार्य आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाता है. डीएम ने कहा कि अगर स्वयं सेवी संस्थाएं भी थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी लेकर कुपोषित बच्चों की देखभाल, टीबी से ग्रसित बच्चों को गोद लेकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी उठा लें तो समाज के गरीब वर्ग की बड़ी मदद होगी. उनका जीवन स्तर भी बढ़ेगा.

उन्होंने कहा कि जिले में 415 बच्चे टीबी से ग्रसित हैं. इनको संस्थाएं मिलकर गोद ले लें और 15-15 दिनों पर इनके घर जाकर इन्हे पौष्टिक खाने की चीजें मुहैया करा दें. इनका हालचाल लें, नियमित दवा खाने की जानकारी लें अभिभावकों से मिलें तो ऐसे परिवार भी मानसिक रुप से सशक्त महसूस करेंगे. बच्चों को चिन्हित कर टीबी के इलाज से रोग आगे की पीढ़ी तक नहीं बढ़ेगा और इसकी चेन ब्रेक हो सकेगी.

इसी प्रकार जिलाधिकारी ने कहा कि आंगनवाड़ी केन्द्रों को भी गोद लेने के लिए आह्वान किया. डीएम ने कहा की सामाजिक संस्थाएं आंगनवाड़ी केन्द्रों में नियमित 15 से 20 आंगनबाड़ी केंद्र की जिम्मेदारी ले लें और विभिन्न अवसरों बर्थ-डे, अनेक त्योहारों आदि के अवसर उनके केन्द्र पर जाकर सेलिब्रेट करें. जिससे समाज को जोड़ने का कार्य होगा और आपस में अच्छी भावना पैदा होगी. जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह हम लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ेंगे तो आने वाले दो तीन महीनों में समाज को अधिक लाभ होगा. जिला प्रशासन द्वारा एनजीओ को सम्बंधित बच्चों एवं परिवारों की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी. जिससे वे उन परिवारों से सम्पर्क कर सकेंगे. इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं. जिससे सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकेगा.

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