उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

By

Published : Sep 21, 2020, 1:13 AM IST

ETV Bharat / state

वाराणसी: सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय में ज्ञानचर्चा के तहत 'महालयश्राद्धम्' विषय पर हुई चर्चा

वाराणसी जिले में स्थित सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में रविवार को ज्ञानचर्चा सत्र में प्रसिद्ध वैयाकरण डाॅ. ज्ञानेन्द्र सापकोटा ने "महालयश्राद्धम्" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए. इस दौरान उन्होंने बताया कि माहलय श्राद्ध बड़े-बड़े यज्ञों एवं दैव तत्वों से भी बढ़कर है.

सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय
सम्पूर्णानन्द विश्वविद्यालय

वाराणसीः सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्ञानचर्चा सत्र में प्रसिद्ध वैयाकरण एवं सहायक आचार्य डाॅ. ज्ञानेन्द्र सापकोटा ने "महालयश्राद्धम्" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि धर्मशास्त्रीय विषयों के वाक्यों का तात्पर्य निर्धारण के लिए बहुत सारे प्रसिद्ध निबंधकार हुए. उन्होंने देश-काल एवं वातावरण के अनुसार भारत की और भारतीय संस्कृति से संबंधित महालय श्राद्ध पर अपने-अपने तर्क दिए.

डाॅ. ज्ञानेन्द्र सापकोटा.

इसी क्रम में उन्होंने कहा कि सामान्यतया श्राद्ध बड़े-बड़े यज्ञों एवं दैव तत्वों से भी बढ़कर है. धर्म प्रदीप एवं अन्य ग्रन्थ में लिखा गया है कि 'पितर नहीं हैं' ऐसा कहकर जो श्राद्ध नहीं करता, उसके पितर नाराज हो जाते हैं और खून चूसते रहते हैं. इस पक्ष में पितर अपने पुत्रजनों से अन्न की आकांक्षा करते हैं. यदि पुत्रादि के पास कुछ न हो तो वह जल से भी श्राद्ध कर सकता है, क्योंकि इस काल में हम जो कुछ भी पितर को देते हैं, वह उनको प्राप्त होता है.

उन्होंने बताया कि जैसे भूखे व्यक्ति को समय पर भोजन मिलने पर प्रसन्न हो जाता है, वैसे ही पितरों को इस पक्ष में अत्यन्त तृप्ति कारक होता है. सभी श्राद्धों में महालय श्राद्ध महत्वपूर्ण है. वैसे प्रतिदिन श्राद्ध करना चाहिए, किन्तु किसी कारणवश न हो पाए तो अन्तिम दिन अवश्य करना चाहिए.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल ने कहा कि श्राद्ध पर्व पर अपने पितरों को सदैव याद करने एवं उनके निमित्त वैदिक रीति-रिवाज से अपने कर्म एवं कार्य को करना चाहिए. इस कार्यक्रम के संयोजक प्रो. महेंद्र पान्डेय और सहसंयोजक डॉ. सत्येंद्र कुमार यादव थे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details