वाराणसी:जिला कांग्रेस कमेटी (Congress Committee) दो धड़ों में बंट गई है. पार्टी का अंदरूनी कलह यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) से पहले कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध साबित हो सकती है. महानगर अध्यक्ष के रवैये से क्षुब्ध होकर कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इस पर महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे और पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने अपनी सफाई पेश की है.
ऐसा माना जाता है कि यदि उत्तर प्रदेश जीतना है तो किसी भी पार्टी को पूर्वांचल फतह करना होगा. पूर्वांचल में बनारस पर मजबूत पैठ बनाना अति आवश्यक है. क्योंकि बनारस को पूर्वांचल का राजनीतिक केंद्र कहा जाता है. एक समय था जब कमलापति त्रिपाठी (Kamalapati Tripathi) वाराणसी में हुआ करते थे. उस दौर में कांग्रेस का बोलबाला था, लेकिन अब आलम ये है कि कांग्रेस काशी में अपनी राजनीतिक जमीन तलाशने में जुटी हुई है. इसके बावजूद कांग्रेस के दो गुटों के बीच जारी कलह उसके अभियान को विराम लगा सकती है. आपसी सामंजस्य की बिगड़ती बानगी 4 जुलाई को इंग्लिशिया लाइन चौराहे पर दिखी. जब पंडित कमलापति त्रिपाठी के परिवार वालों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमे के विरोध में संकल्प कार्यक्रम आयोजित किया गया था. वहां मौजूद कांग्रेस पदाधिकारियों में आपसी विवाद हो गया. जिसके बाद कुछ पदाधिकारियों ने कांग्रेस महानगर अध्यक्ष पर दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा देने की बात कही. इसके बाद कांग्रेस पार्टी के महानगर उपाध्यक्ष समेत 18 पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को अपना इस्तीफा सौंप दिया.
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पार्टी से इस्तीफा दे चुके महानगर उपाध्यक्ष अजय सिंह शिव जी ने महानगर अध्यक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे हमेशा तानाशाही (dictatorship) दिखाते हैं. वरिष्ठजनों के साथ अभद्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं. पहले भी यह घटनाएं हो चुकी हैं. जिससे क्षुब्ध होकर हम सभी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने कहा कि हम हमेशा से कांग्रेस के सिपाही रहे हैं, लेकिन दुर्व्यवहार हम बर्दाश्त नहीं कर सकते. संगठन में हर व्यक्ति महत्वपूर्ण होता है.
महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे ने कहा कि हम सिर्फ प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के हाथों को मजबूत करने में लगे हुए हैं. ऐसे में पार्टी के अंदर कुछ लोग हैं, जिन्हें नए लोगों का आना पसंद नहीं आ रहा है. वे प्रोपेगेंडा तैयार कर रहे हैं, पार्टी में 'वरिष्ठजनों का सम्मान है, युवाओं का साथ' है. हम निचले लेवल पर संगठन को मजबूत कर रहे हैं. यही कारण है कि बीते दिन लगभग 300 से ज्यादा लोगों ने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है. हमारा संकल्प संगठन को मजबूत करना है और प्रियंका गांधी के हाथों को मजबूत करने का लक्ष्य है. तभी हम उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को स्थापित कर सकते हैं.
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इस बाबत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद राजेश मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी 2022 की तैयारियों में जुटी हुई है. पार्टी का प्रत्येक सदस्य विधानसभा चुनाव फतह करने की तैयारी कर रहा है. पार्टी में विवाद के बाबत उन्होंने कहा कि जिस पार्टी में कलह होती है वही लोकतंत्र होता है. बीजेपी में कलह नहीं है, इसलिए वहां पर तानाशाही है. सपा व कांग्रेस में अंदरूनी कलह है. इस वजह से पार्टी में लोकतंत्र जिंदा है. हर जगह पार्टी में गुटबाजी होती है. कांग्रेस में गुटबाजी वैचारिक नहीं है, बल्कि यह किसी मुद्दे पर कटाक्ष करने जैसा है.
बहरहाल कांग्रेस की यह लड़ाई कोई नई लड़ाई नहीं है. बल्कि ऐसा किस्सा बनारस की कांग्रेस में पहले भी देखने को मिला है. जब बीते दिनों यहां एमएलसी का चुनाव होना था, तब भी ऐसी ही गुटबाजी देखने को मिली थी.