वाराणसी : काशी में हजारों साल पुरानी परंपराओं को आज भी सहेजकर रखा जाता है. धनतेरस के मौके पर लगभग 327 सालों से धन्वंतरि जयंती मनाने की भी परंपरा चली आ रही है. इस खास दिन पर विधि-विधान से धन्वंतरि की पूजा कर भोग लगाया जाता है. इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है. इस परंपरा का निर्वहन वाराणसी के सुढ़िया इलाके में राज वैद्य स्वर्गीय शिवकुमार शास्त्री के परिवार की ओर से किया जाता है.
राज्य वैद्य पंडित शिवकुमार शास्त्री का था दबदबा :पंडित शिवकुमार शास्त्री, काशी नरेश परिवार के राज्य वैद्य हुआ करते थे. उस वक्त इनका इतना दबदबा था कि महंगे से महंगे इलाज भी उनकी जड़ी बूटियां से हो जाता था. गंभीर से गंभीर बीमारी भी सही हो जाती थी. काशी नरेश परिवार से लेकर मुलायम सिंह यादव समेत कई सियासी परिवार भी इसी परिवार के यहां इलाज के लिए आते थे. आज भी इस परिवार में आयुर्वेद की परंपरा का निर्वहन किया जाता है. धनतेरस और धन्वंतरि जयंती के मौके पर सदस्यों ने धन्वंतरि की पुरानी प्रतिमा का पूजन किया. आम लोगों के भी दर्शन कराए गए.
परिवार के सभी लोग पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे :राज्य वैद्य शिवकुमार शास्त्री के पुत्र पंडित समीर शास्त्री बताते हैं कि उनके दादा पंडित बाबू नंदन ने लगभग 327 साल पहले धन्वंतरि जयंती की शुरुआत की थी. हमारी छह पीढ़िया आयुर्वेद के कार्यों से जुड़ी हुई है. वर्तमान में मैं, मेरे बेटे, भाई के बेटे सभी लोग इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं. आयुर्वेद और चरक संहिता के साथ ही जो औषधि हैं, उनको तैयार करने से लेकर लोगों को उनसे कैसे फायदा मिले, यह ध्यान दिया जाता है. यही वजह है कि वैद्य परिवार में इस परंपरा की शुरुआत बाबू नंदन यानी उनके दादा ने कि यहां से इसका प्रचार प्रसार शुरू हुआ. अब भी इस परंपरा को निभाया जा रहा है.