उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

वाराणसी: नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कन्दमाता की पूजा, दर्शन मात्र से बनते हैं बिगड़े काम

आज चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन है. आज के दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. बनारस के जैतपुरा में स्कंदमाता का मंदिर है. इस मंदिर में माता बागेश्वरी भी विराजमान हैं, जिन्हें स्कंदमाता का ही रूप माना जाता है.

By

Published : Mar 29, 2020, 12:41 PM IST

नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कन्दमाता की पूजा
नवरात्रि के पांचवे दिन होती है मां स्कन्दमाता की पूजा

वाराणसी:आदि शक्ति मां दुर्गा के नौ रूप में इतनी शक्ति होती है कि भक्त सच्चे मन से पूजा करें तो उसका भाग्य बदल जाता है और शिव की नगरी काशी में खुद माता भक्तों को दर्शन देने आती हैं. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता के दर्शन किए जाते हैं. बनारस के जैतपुरा में स्कंदमाता का मंदिर है. यह देश का अपने आप में अनोखा मंदिर है. इस मंदिर में माता बागेश्वरी भी विराजमान हैं, जिन्हें स्कंदमाता का ही रूप माना जाता है. कहते हैं मां की पूजा-आराधना से भक्तों के सारे पाप कट जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कन्दमाता की पूजा.
ऐसा है मां का स्वरूप
स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं. उनकी दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में भगवान स्कंद गोद में हैं. इनके दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा में जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है. बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वर मुद्रा में और नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें भी कमल पुष्प है. इनका वर्ण पूर्णतः शुभ्र है. मां कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. यही कारण है इन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है. इनका वाहन सिंह भी है.
मां की पूजा का महत्व
नवरात्रि के पांचवें दिन देवी की पूजा की जाती है. उनकी पूजा करने से सुख, ऐश्वर्य और मोक्ष प्राप्त होता है. इसके अलावा हर तरह की इच्छाएं भी पूरी होती है. ऐसी मान्यता है कि देवी स्कंदमाता को सफेद रंग बेहद ही पसंद है, जो शांति और सुख का प्रतीक है. ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं. ये देवी अग्नि और ममता की प्रतीक मानी जाती हैं, इसलिए अपने भक्तों पर सदा आशीर्वाद की कृपा बनाए रहती हैं.
मंदिर के महंत बागेश्वर प्रसाद का कहना है कि मां की पूजा करने से सभी बिगड़े हुए काम बन जाते हैं. जिस तरह मां अपने बच्चों को ममता देती है, इसी तरह माता भक्तों को वात्सल देती हैं. माता का दर्शन करने से भक्तों के तेज में वृद्धि होती है. यदि माता का आशीर्वाद मिल गया तो कुछ भी असंभव नहीं है. उन्होंने कहा कि माता का दर्शन करने के साथ ही दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए. इससे घर में सुख-शांति समृद्धि बनी रहती है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details