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हरि प्रबोधिनी एकादशी: श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी

कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी के दिन धार्मिक नगरी काशी के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया और ब्राह्मणों को दान कर पुण्य प्राप्त किया.

श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.
श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी.

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Published : Nov 25, 2020, 10:22 PM IST

वाराणसी:कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी प्रबोधिनी एकादशी के दिन धार्मिक नगरी काशी के प्रमुख घाटों पर श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई. यहां भोर से ही श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करने के बाद पूजा पाठ कर दान किया.

हरि प्रबोधिनी एकादशी के पवित्र पर्व पर बुधवार को धार्मिक नगरी काशी के घाटों पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन किया और ब्राह्मणों को दान कर पुण्य कमाया. साथ ही उपवास रखकर साधना की. कार्तिक एकादशी पर होने वाले स्नान के मद्देनजर पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के इंतजाम किए थे.

जानकारी देते पुजारी.

पुण्य फल की होती है प्राप्ति
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देव प्रबोधिनी एकादशी को गंगा में स्नान का विशेष महत्व होता है. पंडित अजय कुमार तिवारी बताते हैं कि भगवान विष्णु आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी आज तक योग निद्रा में रहते हैं. आज ही मान्यता के अनुसार प्रभु जागते हैं. इसे चातुर्मास भी कहते हैं. आज ही के दिन से सभी शुभ काम प्रारंभ हो जाते हैं. मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति पूरे वर्ष गंगा स्नान से वंचित रहता है, वह सिर्फ आज कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी से पांच दिनों तक यानि कार्तिक पूर्णिमा तक गंगा स्नान कर लेता है तो उसे उस वर्ष पर्यंत गंगा स्नान का फल मिलता है.

आज से प्रारंभ होते हैं मांगलिक कार्य
मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु चार महीने के लिए क्षीर सागर में निद्रा लेते हैं. इस कारण चातुर्मास में विवाह और मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. देवोत्थान एकादशी पर भगवान के जागने के बाद शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य आरंभ हो जाते हैं. इसके अलावा इस दिन तुलसी विवाह और शालिग्राम का धार्मिक अनुष्ठान भी किया जाता है.

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