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Published : Sep 10, 2019, 3:00 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 11:39 PM IST

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वाराणसी: 14 वर्षों में होता है अनंत चतुर्दशी का उद्यापन, भगवान के अनंत रूप की होती है पूजा

उत्तर प्रदेश की नगरी काशी में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अनंत चतुर्दशी व्रत का भक्तों के बीच अलग ही महत्व है. मान्यता के अनुसार अनंत चतुर्दशी को भगवान के अनंत रूप की पूजा होती है.

अनंत चतुर्दशी व्रत कर भक्त पूजते है भगवान के अनंत रूप.

वाराणसी:धर्म की नगरी काशी में अनेक त्योहार का अपना अलग महत्व है. ऐसे में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर अनंत चतुर्दशी व्रत किया जाता है. इस बार यह पर्व 12 सितंबर को पड़ा है. लोगों में इस व्रत को लेकर काफी आस्था है.

अनंत चतुर्दशी व्रत कर भक्त पूजते है भगवान के अनंत रूप.

इस व्रत का महत्व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया. उनका कहना है कि अनंत चतुर्दशी का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण है. भगवान के अनेक रूप हैं, जिसमें से अनंत रूप है और उसी रूप की भक्त अराधना कर वृत करते हैं.

पुराणों में इस व्रत कथा का वर्णन मिलता है. अनंत भगवान की पूजा युगों से चलती चली आ रही है. लोग अनंत व्रत जीवन में 14 वर्षों तक लगातार करते हैं. इस व्रत का 14 वर्षों के बाद उद्यापन होता है.

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वहीं यह भी माना जाता है कि भगवान अनंत के जो भक्त हैं, वह जीवन भर अपने हाथ में भगवान अनंत का 14 गांठ वाला धागा बांधते हैं. अनंत चतुर्दशी भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के एक दिन पहले पड़ता है. उसी में अनन्त भगवान का व्रत होता है.

इस व्रतकी पूजा विधि

इस व्रत को करने के लिए भक्त सुबह स्नान करके निवास स्थान को स्वच्छ और सुशोभित कर चौकी आदि स्थानों पर मंडल स्वरूप से सजाकर श्रीहरि की सात फलों वाले से सैय्या युक्त मूर्ति स्थापित करता है. उनके समक्ष 14 घंटों का अनंत व्रत रखकर आम्रपाली, गंध, पुष्प, दीप और नैवेद्य से पूजन करते है. पंचामृत, पंजीरी, केला, मोदक आदि का प्रसाद अर्पण और भगवान विष्णु को आराधना करते है.

Last Updated : Sep 10, 2019, 11:39 PM IST

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