वाराणसी में आज मनाई जाएगी दूसरी बार देव दीपावली, दीपों से सजेगा बीएचयू
वाराणसी में काशी तमिल संगम को लेकर मंगलवार को दूसरी बार बीएचयू परिसर में देव दीपावली मनाई जाएगी. इसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) के छात्रों एवं तमिलनाडु से आए मेहमानों द्वारा पूरे कार्यक्रम स्थल को दीपों सजाया जायेगा.
वाराणसीःधर्म नगरी काशी में मंगलवार को दूसरी बार देव दीपावली (Dev Diwali) मनाई जाएगी. यह देव दीपावली काशी और तमिलनाडु के संस्कृतियों का उत्सव भी होगी. इस उत्सव से पूरा बीएचयू परिसर (BHU Campus) रोशनी में सराबोर नजर आएगा. इसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. आज शाम यह दीपावली बीएचयू (BHU) परिसर में मनाई जाएगी.
बता दें कि काशी तमिल संगम (Kashi Tamil Sangam) में आज एक भव्य उत्सव मनाया जाएगा. इस भव्य उत्सव को दक्षिण भारत में प्रसिद्ध कार्तिकई दीपम उत्सव कहा जाता है. इसकी तैयारी बीएचयू स्थित कार्यक्रम स्थल पर की जा रही है. इसमें हजारों दीपों से बीएचयू परिसर जगमगा उठेगा.
काशी में मनाई जाएगी तमिल की देव दीपावली
इस बारे में कार्यक्रम के आयोजक पंडित कृष्ण चमू शास्त्री ने बताया कि यह दक्षिण भारतीयों का बड़ा उत्सव है. जिसे बेहद धूमधाम और उत्साह से मनाया जाता है. दक्षिण भारतीय समुदाय के लोग विश्व में कहीं भी रहते हैं. वह इस उत्सव को मनाते हैं. उन्होंने बताया कि, इस उत्सव को कार्तिगई दीपम कहा जाता है.जो हर साल कार्तिगई महीने तमिल कैलेंडर के 'पूर्णिमा' के दिन मनाया जाता है. इसका उल्लेख संगम काल के साहित्य अकनंद्रु में किया गया है.
हजारों दीपों से रौशन होगा बीएचयू
उन्होंने बताया कि इस त्योहार में जलता हुआ दीपक शुभ प्रतीक माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह बुरी शक्तियों को दूर भगाता है और समृद्धि और आनंद की ओर ले जाता है. इसके अलावा, कार्तिक पुराणम का पाठ किया जाता है. पूरे महीने हर दिन सूर्यास्त तक उपवास रखा जाता है. तमिलनाडु के सभी मंदिरों और विशेष रूप से तिरुवन्नामलाई में कार्तिगई दीपम भव्य तरीके से मनाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि, इसमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Kashi Hindu University) के छात्रों एवं तमिलनाडु से आए मेहमानों द्वारा पूरे कार्यक्रम स्थल को दीपों सजाया जायेगा.
ये है मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा के सामने प्रकाश की ज्वाला प्रकट हुई. जो प्रत्येक खुद को सर्वोच्च मानते थे. अपने वर्चस्व का दावा करने के लिए, भगवान शिव ने उन्हें अपने सिर या पैर पर खोजने के लिए चुनौती दी. विष्णु ने वराह का रूप धारण किया और पृथ्वी की गहराई में चले गए. लेकिन खोज नहीं पाए. ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण किया और बताया कि उन्होंने तजहम्पु के फूल की मदद से भगवान शिव की पहचान की है. भगवान शिव ने झूठ को भांप लिया और श्राप दिया कि ब्रह्मा का दुनिया में कोई मंदिर नहीं होगा और उनकी पूजा करते समय थजम्पु फूल का उपयोग नहीं किया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि, जिस दिन शिव विष्णु के सामने ज्वाला के रूप में प्रकट हुए थे और ब्रह्मा को कार्तिगई दीपम के रूप में मनाया जाता है.
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