वाराणसी: मनरेगा स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सेवापुरी ब्लॉक के सैकड़ों मजदूरों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम(मनरेगा) के तहत मजदूरी बढ़ाने की मांग की है. अपनी मांगों के समर्थन में मंगलवार को सेवापुरी ब्लॉक के करधना गांव में मजदूरों ने मनरेगा दिवस मनाया. इस अवसर पर मजदूरों ने हर हाथ को काम दो काम का पूरा दाम दो, मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करो, मनरेगा मजदूरों को पेंशन ,राशन दो के नारे लगाए.
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दैनिक मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन - मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन
यूपी के वाराणसी जिले में मनरेगा मजदूरों ने दैनिक मजदूरी बढ़ाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. इस अवसर पर मजदूरों ने हर हाथ को काम दो काम का पूरा दाम दो, मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय करो, मनरेगा मजदूरों को पेंशन ,राशन दो के नारे लगाए.
लोक समिति और दिहाड़ी मजदूर संगठन के तत्वावधान में करधना गांव के आम्बेडकर पार्क मेंआयोजित कार्यक्रम में मजदूरों ने मांग किया कि मनरेगा के लिए न्यूनतम दैनिक मजदूरी छह सौ रुपये तय हों. सालाना कार्य दिवस को सौ दिनों से बढ़ाकर दो सौ दिन किया जाए. इसके साथ ही 55 वर्ष से ऊपर के मजदूर को तीन हजार रुपये प्रतिमाह वृद्धावस्था पेंशन और मातृत्व अवकाश सुनिश्चित किया जाय. इसके साथ ही मजदूरों ने मनरेगा को कृषि से जोड़ने, मजदूरों को निःशुल्क स्वास्थ्य बीमा और सभी दिहाड़ी मजदूरों का श्रम विभाग में अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराने की मांग किया.
लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि गरीबी, भूख और पलायन को रोकने के लिये मनरेगा एक बेहतर विकल्प है, लेकिन अभी भी मजदूरों को सौ दिनों का रोजगार नहीं मिल पा रहा है. मजदूर लगातार मनरेगा के तहत मजदूरी दर बढ़ाने की जायज मांग कर रहे हैं. सरकार द्वारा गठित कई समितियों ने भी यह सिफारिश की है कि मनरेगा की मजदूरी बढ़नी चाहिए, लेकिन सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया. मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूर भुगतान में देरी की समस्या का सामना कर रहे हैं. ऐसे में मजदूरी में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं करके सरकार ने एक तरह से संकेत दिया है कि मनरेगा मजदूरों के हकों और हितों को लेकर वह गंभीर नहीं है.