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खास है बनारसी गणेश लक्ष्मी प्रतिमा, देश भर में बढ़ी मांग

उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में बनने वाली सिद्धिविनायक गणेश लक्ष्मी की प्रतिमा का दीपावली के दौरान महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इसकी खास बात यह है कि इसे बनाने का तरीका पारंपरिक है. यही वजह है कि यहां की मूर्तियों की मांग न सिर्फ बनारस में बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में भी होती है.

मूर्तियों में बनारसीपन
मूर्तियों में बनारसीपन

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Published : Nov 9, 2020, 2:00 PM IST

वाराणसी: बनारसी पान, बनारसी साड़ी, बनारसी गलियां, बनारसी घाट और बनारसीपन यह कुछ ऐसे नाम हैं जो बनारस की पहचान बताने के लिए काफी हैं. लेकिन अगर हम आपसे यह कहें कि दीपावली के पावन पर्व पर बनारसी गणेश लक्ष्मी के बिना आपका दीपावली का त्योहार पूरा नहीं होगा तो यह सुनकर आप आश्चर्य मत कीजिएगा. क्योंकि बनारस में मिलने वाले केसरिया रंग के तीली वाले गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस हैं. बनारस में बनने वाले यह गणेश लक्ष्मी न सिर्फ देखने में अलग होते हैं, बल्कि इनको तैयार करने का तरीका भी परंपरागत है.

परंपरागत तरीके से तैयार की जाती हैं मूर्तियां.

आपने महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन पूजन तो किया होगा. यहां भगवान श्री गणेश की भव्य प्रतिमा जिस रूप में विराजमान है, उसी रूप में बनारस में दीपावली के लिए सिद्धिविनायक बनारसी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां मिलती हैं. यह मूर्तियां आपको सिर्फ काशी में ही मिलेंगी. बनारस के लक्सा जद्दूमंडी क्षेत्र में मूर्ति कारीगरों द्वारा लंबे वक्त से इन मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है. गंगा की पवित्र मिट्टी से न सिर्फ यह मूर्तियां गढ़ी जाती हैं, बल्कि आज के प्लास्टर ऑफ पेरिस के मॉडर्न दौर में मिलने वाली खूबसूरत मूर्तियों को भी जबरदस्त टक्कर देती हैं.

सभी मूर्तियों से अलग है यहां का तरीका

मिट्टी से तैयार होने की वजह से यह मूर्तियां न सिर्फ शुद्ध होती हैं, बल्कि इनका डिजाइन देख कर ही आपका मन इन्हें लेने के लिए लालायित होगा. बनारसी गणेश लक्ष्मी की इन मूर्तियों को सिद्धिविनायक तीली वाली गणेश लक्ष्मी मूर्तियों के नाम से जाना जाता है. इनको बनाने का तरीका भी दूसरी मूर्तियों से अलग है. गंगा किनारे जमीन की मिट्टियों को उठाकर मूर्तिकार अपने घर पर लाते हैं और इसे धूप में सुखाने के बाद इसे छानकर इसमें जमा गंदगी को बाहर निकालते हैं. इसके बाद शुरू होता है भगवान को तैयार करने का क्रम.

मिट्टी को हाथों से अच्छी तरह से गूंथने के बाद इन हाथों से डिजाइन तैयार कर इन्हें सूखने के लिए रखा जाता है. जब तैयार मूर्तियां सूख जाती हैं, तो उसमें सफेद रंग का प्राइमर करने के बाद फिर केसरिया रंग किया जाता है. इसके बाद आंखों से लेकर सभी स्थानों पर अलग-अलग रंग तैयार करके लगाया जाता है. इसके बाद लोहे की लंबी लंबी तीलियों को इसमें लगाकर इसे अंतिम रूप दिया जाता है.

यूपी के अलावा भी कई राज्यों में है डिमांड

इन बनारसी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों की डिमांड सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूरी यूपी के साथ देश के कई राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बेंगलुरु तक भेजी जाती हैं. इन मूर्तियों को बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि यह हमारी परंपरा और संस्कृति से जुड़ी चीजें हैं. आज के दौर में जब सुंदर और स्टाइलिश मूर्तियों की डिमांड है तब भी बनारस की मूर्तियां सर्वप्रथम हैं. बनारसी गणेश लक्ष्मी की तीली वाली मूर्तियों को हर कोई चाहता है.

घरों से लेकर प्रतिष्ठानों तक में होती है पूजा

बनारस में घरों से लेकर दुकानों और बड़े प्रतिष्ठानों तक में इनकी पूजा होती है. यूपी समेत अन्य राज्यों में भी इनकी सप्लाई की जाती है. हालांकि इस बार कोरोना का असर जरूर देखने को मिला है. ग्राहक कम आ रहे हैं, लेकिन उम्मीद पूरी है कि दीपावली से पहले सब कुछ सामान्य हो जाएगा.

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