वाराणसी: बनारसी पान, बनारसी साड़ी, बनारसी गलियां, बनारसी घाट और बनारसीपन यह कुछ ऐसे नाम हैं जो बनारस की पहचान बताने के लिए काफी हैं. लेकिन अगर हम आपसे यह कहें कि दीपावली के पावन पर्व पर बनारसी गणेश लक्ष्मी के बिना आपका दीपावली का त्योहार पूरा नहीं होगा तो यह सुनकर आप आश्चर्य मत कीजिएगा. क्योंकि बनारस में मिलने वाले केसरिया रंग के तीली वाले गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां सिर्फ बनारस ही नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस हैं. बनारस में बनने वाले यह गणेश लक्ष्मी न सिर्फ देखने में अलग होते हैं, बल्कि इनको तैयार करने का तरीका भी परंपरागत है.
आपने महाराष्ट्र के सिद्धिविनायक मंदिर में दर्शन पूजन तो किया होगा. यहां भगवान श्री गणेश की भव्य प्रतिमा जिस रूप में विराजमान है, उसी रूप में बनारस में दीपावली के लिए सिद्धिविनायक बनारसी गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां मिलती हैं. यह मूर्तियां आपको सिर्फ काशी में ही मिलेंगी. बनारस के लक्सा जद्दूमंडी क्षेत्र में मूर्ति कारीगरों द्वारा लंबे वक्त से इन मूर्तियों को तैयार किया जा रहा है. गंगा की पवित्र मिट्टी से न सिर्फ यह मूर्तियां गढ़ी जाती हैं, बल्कि आज के प्लास्टर ऑफ पेरिस के मॉडर्न दौर में मिलने वाली खूबसूरत मूर्तियों को भी जबरदस्त टक्कर देती हैं.
सभी मूर्तियों से अलग है यहां का तरीका
मिट्टी से तैयार होने की वजह से यह मूर्तियां न सिर्फ शुद्ध होती हैं, बल्कि इनका डिजाइन देख कर ही आपका मन इन्हें लेने के लिए लालायित होगा. बनारसी गणेश लक्ष्मी की इन मूर्तियों को सिद्धिविनायक तीली वाली गणेश लक्ष्मी मूर्तियों के नाम से जाना जाता है. इनको बनाने का तरीका भी दूसरी मूर्तियों से अलग है. गंगा किनारे जमीन की मिट्टियों को उठाकर मूर्तिकार अपने घर पर लाते हैं और इसे धूप में सुखाने के बाद इसे छानकर इसमें जमा गंदगी को बाहर निकालते हैं. इसके बाद शुरू होता है भगवान को तैयार करने का क्रम.