वाराणसी :काशी हिंदू विश्वविद्यालय सीएसआईआर-सेलुलर और आणविक जीव विज्ञान केंद्र (सीसीएमबी), हैदराबाद ने वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों से कोरोनो वायरस वेरिएंट के जीनोम का अध्ययन किया है. इसमें पाया गया कि इस क्षेत्र में कोरोना वायरस के कम से कम सात वरियेंट्स उपस्थित थे. बीएचयू की एमआरयू लैब ने वाराणसी और शहर के आसपास के क्षेत्रों से ज्यादातर अप्रैल 2021 में वायरस के नमूने एकत्रित किए. सीसीएमबी की टीम ने इन नमूनों का अध्ययन किया. पाया कि इस क्षेत्र में कम से कम सात प्रमुख प्रकार के कोरोना वायरस का प्रसार रहा है.
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डबल म्युटेंट परेशानी का मुख्य कारण
करीब 130 नमूनों के अध्ययन में सबसे प्रमुख वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न (वीओसी) बी.1.617 था जिसे डबल म्युटेंट भी कहा जाता है. इस वेरिएंट को भारत में दूसरी COVID-19 लहर के प्रमुख कारकों में से एक बताया गया था.
कोरोना का डेल्टा संस्करण जांच में सबसे अधिक मिला
बीएचयू में एमआरयू लैब की प्रमुख प्रोफेसर रोयना सिंह ने बताया, 'भारत के अधिकांश जगहों पर बी.1.617.2 वेरिएंट (उर्फ डेल्टा संस्करण) हमारे द्वारा अध्ययन किए गए नमूनों में सर्वाधिक था. वे कुल नमूनों में से 36 प्रतिशत में पाए गए. अन्य वीओसी जैसे B.1.351, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, इस क्षेत्र में भी पाया गया'.
डॉ. राकेश मिश्रा, सलाहकार, सीसीएमबी ने कहा, 'यह अध्ययन फिर से पुष्टि करता है कि डेल्टा संस्करण अभी देश में सबसे व्यापक कोरोनावायरस वेरिएंट हैं. साथ ही, हमारे लिए देश में इस वायरस के अन्य उभरते हुए रूपों पर नजर रखना अनिवार्य है ताकि मामलों की एक और अभूतपूर्व वृद्धि को रोका जा सके'.