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Gyanvapi Mosque Case: शिवलिंग है या फव्वारा? 30 मई को सामने आएगा सच - जिला अदालत वाराणसी

ज्ञानवापी मामले में कमीशन की रिपोर्ट के वीडियो और फोटो को लेकर रार शुरू हो गई है. दोनों पक्षों की ओर से जिला मजिस्ट्रेट से पब्लिक प्लेटफॉर्म पर वीडियो और फोटो न देने की गुहार लगाई है.

Gyanvapi Mosque Case
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Published : May 27, 2022, 10:17 PM IST

वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में चल रहे विवाद के बीच अब 30 मई को सुनवाई होगी. लेकिन इस सुनवाई के पहले हर किसी की निगाह कमीशन की रिपोर्ट के वीडियो और फोटोग्राफ को लेकर टिकी हुई है. क्योंकि वादी पक्ष के वकीलों ने जिला जज न्यायालय में एप्लीकेशन देकर वीडियो और फोटो साक्ष्य उपलब्ध करवाने की मांग की है. क्योंकि 4 दिनों से लगातार कार्रवाई के बाद भी कुछ तकनीकी कारणों से यह रिपोर्ट नहीं मिल पाई है.

जानकारी देते जितेंद्र सिंह विसेन.

सुरक्षा और बढ़ाने जाने की मांगःदरअसल हिंदू पक्ष लगातार मस्जिद परिसर में हिंदू मंदिर होने के साक्ष्य से छेड़छाड़ की बात करते हुए न्यायालय में परिसर की सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग कर रहा है. एक दिन पहले ही सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने वजू खाने में जो शिवलिंग मिला था, उसी स्थान पर मौजूद एक चकरी को वहां से हटाया जाने का दावा करते हुए पूरे परिसर में सुरक्षा और बढ़ाने जाने की अपील की है.

जितेंद्र सिंह विसेन ने जिला मजिस्ट्रेट को भेजा पत्रः इन सबके बीच वीडियो और फोटो साक्ष्य को लेकर भी दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए हैं. हिंदू पक्ष की पैरवी करते हुए पूरे मामले को एक अलग रूप में आगे बढ़ाने वाले विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने जिला मजिस्ट्रेट को चिट्ठी लिखी है. जितेंद्र सिंह बिसेन ने जिला मजिस्ट्रेट से मांग की है कि ज्ञानवापी कमीशन की फोटोग्राफी या वीडियो किसी पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा नहीं होनी चाहिए. यह कोर्ट की संपत्ति रहे, कोर्ट तक सीमित रहे अन्यथा राष्ट्रविरोधी ताकतें सांप्रदिक सौहार्द बिगाड़ सकती है. हो सकता है राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो. किसी के पब्लिक प्लेटफॉर्म पर साझा करने के प्रयास में लिप्त पाए जाने पर रासुका सहित अन्य प्रावधानों में कानूनी कार्यवाही की जाए.

बाहरी लोगों को न मिले साक्ष्यः वहीं, मुस्लिम पक्ष की तरफ से भी इन साक्ष्यों को सार्वजनिक रूप से सामने न लाए जाने की अपील जिला न्यायालय में की गई है. मुस्लिम पक्ष के वकील अबे नाथ यादव का कहना है कि साक्ष्य कोर्ट के हैं. कोर्ट ने कमीशन की कार्यवाही करवाई थी. इसे यदि उपलब्ध करवाना है तो सिर्फ संबंधित व्यक्तियों को मिलना चाहिए. बाहर किसी भी हाल में किसी व्यक्ति के पास ही है साक्ष्य नहीं जाने चाहिए.

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पीएफआई का लेटर वायरलः वहीं, ज्ञानवापी मामले में एक लेटर भी सोशल मीडिया पर वायरल होता रहा. यह लेटर इस्लामिक संगठन पीएफआई का बताया जा रहा है. इस पत्र में ज्ञानवापी मामले में मुसलमानों से एकजुट होने की अपील की गई है. ज्ञानवापी मामले में चल रही न्यायिक कार्रवाई का विरोध करते हुए पत्र में मुसलमानों से कहा गया है कि मंदिर-मस्जिद पर चल रहे विवाद का विरोध करें.

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