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वाराणसी: गंगा बहाव से तर्पण करने वालों की बढ़ी मुश्किलें, छतों पर हो रहा शवदाह - घाट पर छतों पर हो रहा श्राद्ध

यूपी की काशी नगरी में गंगा नदी ने अपना रौद्र रूप धारण कर लिया है. गंगा नदी खतरे के निशान के करीब पहुंच चुकी है, जिसके चलते सभी घाट जलमग्न हो गए हैं. वहीं स्थिति यह है कि शवदाह मणिकर्णिका घाट की छतों पर किया जा रहा है.

बाढ़ के पानी में डूबा मंदिर.
बाढ़ के पानी में डूबा मंदिर.

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Published : Sep 13, 2020, 7:32 PM IST

वाराणसी: काशी में गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. घाटों से होते हुए गंगा अब गलियों तक में प्रवेश कर चुकी है. इसके चलते श्मशान पर शवों के दाह संस्कार में भी परेशानी हो रही है. मौजूदा समय की बात करें तो गंगा खतरे के निशान 70.26 मीटर से महज डेढ़ मीटर दूर 68.59 मीटर रह गई है. हालात यह हैं कि श्मशान में जगह न मिलने से अब छतों पर लोग श्राद्ध कर्म और तर्पण क्रिया को पूरा कर रहे हैं.

गंगा का बढ़ा जलस्तर.

गंगा नदी का जलस्तर 68.59 मीटर तक पहुंच चुका है, जिसके चलते सभी घाटों पर पानी भर गया है. गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण घाट किनारे स्थित सैकड़ों छोटे-छोटे मंदिरों में पानी भर गया है. यहां शवदाह के लिए हरिश्चंद और मणिकर्णिका घाट हैं, लेकिन दोनों ही घाट पानी से लबालब दिख रहे हैं, जिसके चलते अब घाट की छतों पर ही दाह संस्कार किया जा रहा है.

जलमग्न हुए घाट व मंदिर.

15 दिन के पितृपक्ष काल में होने वाले श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान के लिए घाटों पर जगह ही नहीं बची है. दूर-दूर से आने वाले लोग अपने पितरों के श्राद्ध पूजन को छतों पर ही पूरा कर रहे हैं. घाटों से होते हुए गंगा गलियों में पहुंच रही है, इसकी वजह से स्थानीय निवासियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. गंगा घाट पर मौजूद मंदिर भी पानी में पूरी तरह से समा चुके हैं. वहीं घाटों पर दुकान लगाने वाले लोग अब सुरक्षित स्थानों की तरफ पलायन करते दिख रहे हैं.

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