वाराणसी: बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर पर गंगा में उतराते शवों के बाद वाराणसी के श्मशान घाटों और गंगा का ETV भारत की टीम ने जायजा लिया. इसके तहत वाराणसी में किस तरह दाह संस्कार कराए जाते हैं, काशी के डोम राजा परिवार से इसकी जानकारी ली गई. जिसमें डोम राजा परिवार के लोगों ने बताया कि हम लोग पूरे विधि विधान से दाहसंस्कार कराते हैं, जिसमें तीन घंटे का समय लगता है.
पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है
वैश्विक महामारी के कारण संक्रमितों की मौत की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान घाटों पर अर्धजली लाशों को नदियों में बहाने का भी मामला सामने आया है. बीते दिन बक्सर एवं गाजीपुर के बॉर्डर स्थित गंगा में उतराते शव मिल थे. जिसके बाद ETV भारत की टीम ने वाराणसी के श्मशान घाटों का जायजा लिया. शव जलाने वाले सिकंदर चौधरी ने बताया कि 'हम लोग भारतीय परंपरा के अनुसार शव जलाने का काम करते हैं. शव को 3 घंटे में जलाया जाता है. अंतिम में बचे थोड़े शव के टुकड़े को गंगा में विसर्जित किया जाता है. हमारी परंपरा के अनुसार थोड़ी मांस के टुकड़े मछली को खाने के लिए दिए जाते हैं, जिससे मृतक के आत्मा को शांति मिलती है.' अर्ध जली लाश के सवाल पर उन्होंने बताया कि 'हम लोगों द्वारा पूरी लाश को जलाने का काम किया जाता है. हरिश्चंद्र घाट पर कभी भी आधी लाश नहीं जलाई जाती है, ना ही गंगा में विसर्जित किया जाता है.'