वाराणसी:कोविड महामारी ने सबसे ज्यादा चिकित्सा के क्षेत्र पर अपना प्रभाव डाला है. इन दिनों सरकारों ने अपने सभी महत्वपूर्ण चिकित्सकीय संस्थानों को कोविड सेंटर में बदल दिया है. ऐसे में आमजन, मुख्य तौर पर गर्भवती महिलाओं को डिलीवरी के लिए कॉरपोरेट व प्राइवेट मातृत्व सेंटर और नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ रहा है. वहीं कोविड-19 के कारण कई सारे प्राइवेट अस्पतालों को कई सारे अन्य नए खर्च का सामना करना पड़ रहा है. इसकी वजह से कुछ अस्पतालों ने अपने फीस व अन्य सुविधा के दरों में वृद्धि कर दी है. हालांकि कुछ अस्पताल ऐसे भी हैं, जिनकी फीस नहीं बढ़ाई गई है और न ही किसी अन्य प्रकार का कोई अतिरिक्त चार्ज लिया जा रहा है.
प्राइवेट अस्पतालों पर कोरोना का असर. 'अस्पताल की सुविधाओं में नहीं हुआ बदलाव'
सूर्या सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल की एमडी व वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इंदू सिंह ने बताया कि जब यह महामारी शुरू हुई थी, तभी हमारे मैनेजमेंट ने यह निर्णय लिया था कि हम इस महामारी में किसी भी प्रकार की फीस वृद्धि नहीं करेंगे, मरीजों को पहले जैसे ही सुविधा देंगे. पहले भी हमारे यहां ओपीडी शुल्क 500 रुपये थे और आज भी वही है. उन्होंने बताया कि हम सब मूलरूप से आईवीएफ तकनीक पर काम करते हैं. हम सब एक हेल्दी बेबी की कोशिश करते हैं, जिससे कि मरीज और उनका बच्चा दोनों स्वस्थ रहें. उन्होंने बताया कि लोगों में ऐसा भ्रम होता है कि डॉक्टर ऑपरेशन डिलीवरी इसलिए करते हैं, क्योंकि उन्हें पैसे ज्यादा लेने होते हैं. इसलिए हमारे यहां नॉर्मल और ऑपरेशन डिलीवरी दोनों का एक ही चार्ज है, इससे लोगों का यह भ्रम भी दूर हो जाएगा.
'अस्पताल में है बेहतर व्यवस्था'
वहीं अस्पताल आई मरीज हर्षल अद्धयारी ने बताया कि हर जगह की फीस भले ही बढ़ी हों, लेकिन डॉक्टर इंदू सिंह ने फीस नहीं बढ़ाया है. जैसे वह पहले व्यवहार करती थीं, वैसे अभी भी करती हैं. यहां सुविधाएं भी बेहतर हैं. उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है कि लॉकडाउन में फीस नहीं बढ़ाया है, जिससे सभी मरीज आसानी से अपना इलाज करा सकते हैं.
अस्पताल में नजर आते मरीज. 'कोरोना जांच का बढ़ा है चार्ज'
टंडन मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के एमडी व वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर शालिनी टंडन ने बताया कि इन दिनों कोविड को देखते हुए हम सब पूरे प्रिकॉशंस के साथ अस्पताल में मरीजों की डिलीवरी करा रहे हैं. अस्पताल परिसर के गेट से लेकर अंदर आने तक कई बार स्कैनिंग व जांच की जाती है, जिससे कि मरीज खुद को इस महामारी से सुरक्षित रख सकें. उन्होंने बताया कि इन दिनों हमारे ऊपर सैनिटाइजेशन के साथ-साथ अन्य कई खर्चों का बोझ बढ़ा है, जिसकी वजह से थोड़ा बहुत उसका असर मरीजों पर भी पड़ रहा है. यदि हम जांच की बात करें तो हमारा हॉस्पिटल नॉन कोविड-19 है. यदि हमें किसी पेशेंट के सस्पेक्ट होने का डर होता है, तब हम नोजल ट्रस्ट के माध्यम से मरीज का कोरोना टेस्ट कराते हैं. जिसके लिए हमें उनके सैंपल को प्राइवेट लैब में भेजना पड़ता है. ऐसे में एक यह एक्स्ट्रा जांच का खर्च मरीज पर आया है, उसके अतिरिक्त और कोई भी खर्च हम लोगों ने नहीं बढ़ाया है और न ही कोई फीस वृद्धि की है. उन्होंने बताया कि सभी डॉक्टरों की ओपीडी की फीस अलग-अलग है. उन्होंने बताया कि हमारे यहां 500 रुपये ओपीडी की फीस है और 8000 रुपये नॉर्मल डिलीवरी तथा 12000 रुपये ऑपरेशन डिलीवरी का चार्ज है.
'डॉक्टर करें मरीजों का सपोर्ट'
डॉक्टर को दिखाने आई मरीज अपर्णा ने बताया कि कोरोना महामारी ने हम सभी के बजट पर असर डाला है, बहुत सारे खर्चे बढ़े हैं. ऐसे में अस्पताल के बढ़े हुए खर्चे भी हमारे ऊपर एक नया बोझ डाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे समय में डॉक्टरों को भी सपोर्ट करने की जरूरत है, फीस नहीं बढ़ाना चाहिए.
कोरोना महामारी के मद्देनजर अस्पताल प्रशासन के द्वारा कोविड-19 की जांच के साथ-साथ सैनिटाइजेशन, पीपीई किट के अन्य कई सारे खर्च का वहन किया जा रहा है. कई अस्पताल जहां इस महामारी में भी मरीजों को बेहतर सुविधा बिना फीस वृद्धि के दे रहे हैं, वहीं कई ऐसे अस्पताल भी हैं जिनकी फीस में वृद्धि देखने को मिल रही है.