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कोरोना कर्फ्यू का इंडस्ट्रीज पर बड़ा असर, उद्योगपतियों को हुआ करोड़ों का नुकसान - उद्योग पर कोरोना का असर

यूपी में कोरोना कर्फ्यू (UP Corona Curfew) का सबसे बड़ा असर इंडस्ट्रीज पर पड़ा है. वाराणसी के मंडुआडीह स्थित चांदपुर इंडस्ट्रियल एरिया (Chandpur Industrial Area) में प्रोडक्शन की 158 यूनिट लगाई गई हैं. इसमें विभिन्न प्रकार के कृषि, पैकेजिंग और घरेलू सामग्रियों के यंत्र लगाए गए हैं. दोनों स्थानों के उद्योगपतियों को भारी नुकसान हुआ है.

यूपी में कोरोना कर्फ्यू का असर
यूपी में कोरोना कर्फ्यू का असर

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Published : Jun 21, 2021, 3:59 PM IST

वाराणसी : देश में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की दूसरी लहर के कारण लोगों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार द्वारा कोरोना कर्फ्यू (Corona Curfew) लगाया गया था. इसके कारण उद्योग और व्यापार बंद थे. इसके उलट दूसरी तरफ सरकार द्वारा कारखानों में काम करने की छूट दी गई थी. व्यापार बंद होने से वाराणसी इंडस्ट्रियल एरिया (Varanasi Industrial Area) में विभिन्न उत्पादन (Production) में लगभग 75 प्रतिशत की कमी आई है. वहीं, रॉ मटेरियल (Raw Material) में दुगने दामों की बढ़ोतरी हुई है, जिससे उद्योगपतियों को पूंजी की भारी क्षति हुई है.

चांदपुर और रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया में हैं 500 से ज्यादा यूनिट

वाराणसी के मंडुआडीह स्थित चांदपुर इंडस्ट्रियल एरिया (Chandpur Industrial Area) में प्रोडक्शन की 158 यूनिट लगाई गई हैं. इसमें विभिन्न प्रकार के कृषि, पैकेजिंग और घरेलू सामग्रियों के यंत्र लगाए गए हैं. इसके अलावा रामनगर इंडस्ट्रियल एरिया (Ram Nagar Industrial Area) में लगभग 350 यूनिट हैं. दोनों स्थानों को मिलाकर 500 से ज्यादा यूनिट हैं, जिनमें अरबों रुपये का टर्नओवर होता है. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के रीजनल चेयरमैन नीरज पारिख ने बताया कि हमारे प्रोडक्शन में 75 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे करीब 1200-1500 करोड़ का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एक तरह व्यापार बंद करने का आदेश है तो दूसरी तरफ कारखाने चलाने के आदेश हैं. ऐसे में उत्पादन किया गया सामान कहां बिकेगा?

उद्योगपतियों को पूंजी की भारी क्षती हुई
'इंडस्ट्री एरिया पैकेजिंग का कारखाना हो गया'

इंडस्ट्रीज स्टेज मंडुआडीह प्रेसिडेंट राजू भाटिया ने बताया कि इंडस्ट्री एरिया पैकेजिंग का कारखाना हो गया है. पिछले कोरोना महामारी के दौर में सरकार ने आगे आकर हाथ बढ़ाया था, लेकिन इस बार सरकार ने हाथ छोड़ दिया है. बाजार और फैक्ट्रियां सभी बंद हैं. राजू भाटिया ने बताया कि मेरे कारखाने में पैकेजिंग इंडस्ट्रीज है. यहां करीब 18-20 कर्मचारी रेगुलर काम करते हैं. उनके मुताबिक, साल भर में उनका टर्नओवर डेढ़ से दो करोड़ का था. इस मई महीने में कोई कार्य नहीं हुआ है. कारखाने बंद पड़े हैं. आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि शुद्ध हानि हो रही है.


कारखाने नहीं चल रहे फिर भी देना पड़ रहा फिक्स चार्ज

राजू भाटिया का कहना है कि कोरोना काल में उद्योग व्यापार ठप होने के बावजूद भी व्यापारियों को बिजली बिल देना पड़ा था. हमारे मीटर में यूनिट दिखाई दे रही थी, लेकिन फिक्स्ड चार्जेस हमको हजारों में देने थे. हमारी मांग है कि वन नेशन, वन इलेक्ट्रिसिटी (One Nation, One Electricity) हो. सरकार से हमारी मांग है कि जब हमारे कारखाने नहीं चल रहे हैं तो फिर हम लोगों से फिक्स चार्ज न लिया जाए. यह सरकार के हाथ में है.

रॉ मैटेरियल के दाम बढ़े

कोरोना की दूसरी लहर में माल उत्पादन में जहां कमी आई, वहीं प्रोडक्शन करने वाले रॉ मटेरियल की कीमतों में 70 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. रॉ मैटेरियल में लोहा, एल्यूमीनियम, प्लास्टिक या क्राफ्ट के सामान भी शामिल हैं. इनके दाम 60-70 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं. इन बढ़े हुए दामों के कारण कार्यशील पूंजी में भी कमी आई है.



कोरोना के फैलने से समस्याएं बढ़ीं

कोरोना संक्रमण गांव तक फैलने के कारण इंडस्ट्रीज उद्योग के प्रोडक्शन में कमी आई. इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के रीजनल चेयरमैन नीरज पारिख ने बताया कि उनकी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी गांव से थे. गांव में कोरोना होने से वह शहर नहीं लौट सके, जो आए भी उनसे कंपनी पूरा काम नहीं ले पाई.

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