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वाराणसीः काशी विश्वनाथ की 350 साल पुरानी परंपरा अधर में - पालकी शोभायात्रा

काशी विश्वनाथ मंदिर की 350 साल पुरानी परंपरा इस बार अधर में फंस गई है. रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ और मां गौरा की निकाली जाने वाली पालकी शोभायात्रा दो भाइयों के बीच में अटक गई है. इस यात्रा को देश-विदेश के लोग देखते हैं.

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लोकपति तिवारी

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Published : Mar 3, 2020, 7:16 PM IST

वाराणसीः बाबा विश्वनाथ और मां गौरा को लेकर निकाली जाने वाली यात्रा को लेकर बड़े भाई ने एलान किया है कि पालकी उनके घर में है, जिस कारण उनके घर से शोभायात्रा निकलेगी. वहीं छोटे भाई का कहना है कि बाबा भोले और मां गौरा की मूर्ति उनके घर में है और अपने बड़े भाई से अनुरोध कर रहे हैं कि शोभायात्रा को महंत आवास से निकालें न कि गेस्ट हाउस से.

रंगभरी एकादशी शोभायात्रा में विवाद.

बड़े भाई ने शोभायात्रा निकालने का किया है एलान
छोटे भाई लोकपति तिवारी का कहना है कि कुछ दिन पहले उनके बड़े भाई कुलपति तिवारी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए यह बताया कि रंगभरी एकादशी का आयोजन उनके यहां से कराया जा रहा है, मगर यह गलत है, क्योंकि यह रंगभरी एकादशी प्राचीन काल से मां गौरा के गवना के रूप में महंत आवास से निकाली जाती है और वह श्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण के कारण गेस्ट हाउस में रह रहे हैं.

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छोटे भाई ने किया बड़े भाई से अनुरोध
लोकपति का यह भी आरोप है कि उनके भाई ने बाबा भोले और मां गौरा की नई मूर्ति भी मंगा ली है, जबकि प्राचीन मूर्ति उनके पास महंत आवास में है. लोकपति ने अपने बड़े भाई से अनुरोध किया है कि वह महंत आवास आएं और कुल परंपरा के अनुसार शोभायात्रा खुद निकालें.

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