वाराणसीः महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 78 संविदा शिक्षक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के सामने 4 माह से वेतन भुगतान न होने को लेकर धरने पर बैठ गए. शिक्षकों का कहना है कि कोरोना काल में सेवा समाप्त होने के बाद भी शिक्षकों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के कहने पर चार महीने तक लगातार सेवा दी. इसके बावजूद उन्हें वेतन नहीं दिया गया.
विद्यापीठ प्रशासन पर मनमानी करने का आरोप
वहीं शिक्षकों का आरोप है कि संविदा अध्यापक (कोर फैकेल्टी) का भुगतान जुलाई माह 2020 से नहीं किया जा रहा है. जबकि राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार लगातार दिशा निर्देश जारी करती रही है. कोविड-19 की इस महामारी के दौर में किसी का वेतन न रोका जाए, लेकिन विद्यापीठ प्रशासन मनमाने ढंग से सविदा अध्यापकों का वेतन रोक कर शोषण कर रही है.
साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन यह कह रहा है कि संविदा अध्यापक की सविदा 30 जून 2020 को समाप्त हो चुकी है. जबकि संविदा अध्यापकों का संविदा विस्तार माननीय उच्च न्यायालय के पारित आदेश दिनांक 1 मार्च 2013 के अनुपालन में जारी शासनादेश संख्या 225/सतर-2-2020- (31)/ 2018 दिनांक 13 मार्च 2020 के द्वारा बिदु संख्या 7 के अंतर्गत स्वतः हो चुकी है. जिसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की कार्यपरिषद की बैठक में स्वीकार कर लिया गया है. इसकी सूचना पत्रांक संख्या कु०स०-2B स०अ०/17168/शासन विविध वेतन निर्धा०/2020 के द्वारा शासन को उपलब्ध करा दी गई है
वहीं शिक्षकों का आरोप है कि अब काशी विद्यापीठ के कुलपति उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश के उल्लंघन के साथ-साथ अपने ही कार्य परिषद के निर्णय को नहीं मान रहे हैं. उनके मनमानी और वेतन भुगतान न करने के संबंध में शिक्षक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश के मुख्य संचिव एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महामहिम आनंदीबेन पटेल को भी पत्रक दे चुके हैं. यदि कुलपति हम लोगों को यथाशीघ्र वेतन भुगतान नहीं करते हैं तो हम लोग वेतन भुगतान एवं अपने अधिकारों की रक्षा के लिए निरंतर सत्याग्रह करेंगे.