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वाराणसी: मकर संक्रांति पर शुरू हुआ काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य

यूपी के वाराणसी में देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के तहत बनवाए जाने वाले विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का बुधवार को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया.

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काशी विश्वनाथ धाम

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Published : Jan 15, 2020, 4:50 PM IST

Updated : Jan 15, 2020, 5:20 PM IST

वाराणसी:देवाधिदेव महादेव श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के तहत बनवाए जाने वाले विश्वनाथ धाम यानी कॉरिडोर का बुधवार को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया. 8 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था और लगभग 10 माह बाद विश्वनाथ धाम के निर्माण का भूमि पूजन कर आज प्रोजेक्ट का कार्य करने वाली गुजरात की कंपनी ने काम की शुरुआत कर दी है. विश्वनाथ मंदिर और मणिकर्णिका घाट के बीच खाली स्थान पर भूमि पूजन के बाद विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य शुरू हुआ है, जिसके लिए विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों ने विधिवत पूजन के बाद खोदी गई नींव में ईंट रख कर विधिवत भूमि पूजन के बाद इस कार्य की शुरुआत करवाई.

शुरू हुआ काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण कार्य.

अहिल्याबाई होल्कर ने अंतिम बार किया था निर्माण
इससे पहले श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण अंतिम बार इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 में कराया था. सन 1785 में प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग की आज्ञा से तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट मोहम्मद इब्राहिम खान ने बाबा विश्वनाथ मंदिर के सिंहद्वार के सामने नौबत खाना बनवाया था. जहां प्रतिदिन भोग के समय नगाड़ा एवं शहनाई बजती थी. आदि शंकराचार्य से लेकर स्वामी रामकृष्ण परमहंस स्वामी विवेकानंद गोस्वामी तुलसीदास दयानंद सरस्वती गुरु नानक आदि के द्वारा इस लिंग की पूजा की गई है. पंजाब केसरी महाराणा रणजीत सिंह ने 1839 में इस मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित करवाया. 28 जनवरी 1983 से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस मंदिर का अधिग्रहण कर इसकी व्यवस्था एवं प्रबंध का कार्य एक ट्रस्ट के कार्यपालक समिति को सौंप दिया गया.

काशी विश्वनाथ मंदिर
बुधवार निर्माण कार्य शुरू होने से लगभग 10 माह पूर्व आठ मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी. काशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद का गठन होने के बाद काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण की कवायद बुधवार को शुरू हुई है.

339 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट
निर्माण कार्य का यह पूरा प्रोजेक्ट लगभग 339 करोड़ रुपयों का है. जिसमें योजना के द्वितीय चरण में निर्माण कार्यों के लिए कैबिनेट ने 318.67 करोड़ रुपए में निर्माण की मंजूरी दी है. काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण परियोजना के प्रथम चरण में चिन्हित 296 भूमि-भवनों के क्रय के लिए वाराणसी के जिलाधिकारी को वर्ष 2017-18 में 40 करोड़ रुपए तथा वित्तीय वर्ष 2018-19 में 358.33 करोड़ सहित कुल 398.33 करोड़ जारी किए हैं. परिषद द्वारा अब तक कुल 268 सम्पत्तियां खरीदी गई है. इनमें से 247 भवनों को ध्वस्त किया जा चुका है.

काशी विश्वनाथ धाम.
गुजरात की कंपनी के जनरल मैनेजर ने दी जानकारीइस प्रोजेक्ट का कार्य करने वाली गुजरात की कंपनी के जनरल मैनेजर ने बताया कि पहले चरण में मंदिर परिसर और दूसरे चरण में गंगा घाट क्षेत्र को विकसित किया जाएगा. तीसरे चरण का काम गंगा तट पर स्थित नेपाली मंदिर से लेकर ललिता घाट, जलासेन घाट और मणिकर्णिका घाट के आगे सिंधिया घाट तक का हिस्सा शामिल है. एक किलोमीटर लंबे इस क्षेत्र से श्रद्धालु स्नान करके आसानी से मंदिर तक दर्शन पूजन करने के लिए जा सकेंगे. इसमें दुकानें, वेद विज्ञान शाला, कम्युनिटी हाल, सोविनियर शॉप, हेल्प डेस्क, कार्यालय, कंट्रोल रूम, संग्रहालय, यज्ञशाला का निर्माण होना है. साथ ही मुमुक्षु भवन का निर्माण और अन्य सुविधाएं शामिल हैं.2021 तक होगा पूराश्री काशी विश्वनाथ मंदिर से मणिकर्णिका घाट जला सेन ललिता घाट होते हुए मंदिर तक के 50000 वर्ग मीटर में आने वाले 296 भवनों में से 268 भवनों को खरीदने का काम पूरा हो चुका है. 28 भवनों के खरीदने का कार्य प्रक्रिया में है, अब तक इस परियोजना पर 370 करोड़ रुपए भवन खरीदने में खर्च हो चुके हैं. श्री काशी विश्वनाथ मंदिर सुंदरीकरण विस्तारीकरण परियोजना और कुल 339.67 करोड़ रुपए खर्च होंगे जिसे 2021 तक पूरा करना है.
मकर संक्रान्ति पर शुरु हुआ कार्य.
40 से अधिक प्राचीन मंदिरश्री काशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण सुंदरीकरण परियोजना के लिए खरीदे गए भवनों में से 40 से अधिक प्राचीन मंदिर मिले हैं, जो घरों के अंदर कैद थे. इन मंदिरों में अधिकतर मंदिर बाबा भोलेनाथ के हैं. इन मंदिरों के पत्थरों पर उकेरी गई नक्काशी बेहतरीन वास्तु कला को प्रदर्शित करती है. मंदिर प्रशासन परियोजना के तहत इन मंदिरों का भी जीर्णोद्धार कराने की योजना बना चुका है. परियोजना की सबसे बड़ी खास बात यह है कि इस निर्माण में एक भी मंदिर को अपनी जगह से विस्थापित नहीं किया जाएगा.
Last Updated : Jan 15, 2020, 5:20 PM IST

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