वाराणसी:जिले में लॉकडाउन के बाद सभी कारोबारियों को घाटा हो रहा है. काशी का चाहे छोटा कारोबारी हो या फिर बड़े सभी लॉकडाउन की मार से परेशान हैं. इस कड़ी में प्रधानमंत्री की ओर से आर्थिक मंदी के दौर में 20 लाख करोड़ का पैकेज देकर हर सेक्टर को बड़ी राहत देने की कोशिश की है. वहीं इस पैकेज को लेकर कांग्रेस के रिसर्च विंग के हेड गौरव कपूर का मानना है कि इससे ज्यादा फायदा नहीं होगा.
आर्थिक पैकेज को लेकर विशलिस्ट वैसे तो वाराणसी को धर्म और अध्यात्म के लिए जाना जाता है, लेकिन बनारस में ऐसा बहुत कुछ है, जो बनारस को अन्य जगहों से जुदा करता है. एमएसएमई सेक्टर के तहत कुटीर और लघु उद्योग से जुड़ा बनारसी साड़ी कारोबार, लकड़ी खिलौना कारोबार, गुलाबी मीनाकारी का उद्योग और पर्यटन की दृष्टि से नौका वालों से लेकर जरदोजी का काम करने वाली महिलाएं हैं. यह सब अलग-अलग सेक्टर से जरूर बिलॉन्ग करते हैं, लेकिन इनके बल पर बनारस का बड़ा इकोनॉमी हिस्सा वर्क करता है.
बनारस को अलग पहचान देने वाले इन सेक्टर्स की हालत इस महामारी के दौर में बेहद खराब है. कांग्रेस नेता और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के यूपी अनुसंधान विंग के सचिव गौरव कपूर का कहना है कि वाराणसी में एमएसएमई की एक श्रृंखला है, जो शहर को दूसरे शहरों से अलग खड़ा करती है. साथ ही दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है.
गौरव का कहना है कि प्रधानमंत्री के राहत पैकेज के बाद उन्होंने कांग्रेस के रिसर्च विंग का हेड होने के नाते काफी रिसर्च किया. इसमें शिल्पकार और छोटे, मझोले व्यापारियों और उद्योगपतियों से बात की गई. इस दौरान यह पता चला कि कोई खुश नहीं है. इस कड़ी में उन्होंने सुझाव तैयार किया है और कांग्रेस जल्द ही उन सुझावों को प्रधानमंत्री तक पहुंचाएगी.
हर सेक्टर को मिले सीधी मदद
गौरव का कहना है कि केंद्र सरकार के राहत पैकेज में स्थानीय उद्योगों पर निर्भर हजारों परिवारों पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया. जैसे कि पीतल के बर्तन बनाने वाले श्रमिक, लकड़ी के खिलौने बनाने वाले कारीगर, गुलाबी मीनाकारी कारीगर, पत्थर के शिल्पकार रामनगर, जरी-जरदोजी कामगार या शहर में सालों से हाथ से कढ़ाई करने वाली महिलाएं.
गौरव का कहना है कि काशी के नाविकों को आगामी छह महीनों के लिए प्रति माह 10 हजार रुपये का भत्ता दिया जाना चाहिए, क्योंकि उनका व्यवसाय पूरी तरह से पर्यटन पर निर्भर करता है. वहीं वर्तमान स्थिति ने उनके लिए जीवित रहना मुश्किल बना दिया है. इन सभी शिल्पकारों, बुनकरों और छोटे उद्योगों से जुड़े लोगों की लिस्ट पहले से ही सरकार के पास मौजूद है. सरकार के पास उनके अकाउंट नंबर मौजूद हैं. वह सीधे उनके खाते में पैसे डालें, न कि आर्थिक मदद के नाम पर लोन देने का दावा करें.
तैयार किया है प्लान
गौरव कपूर ने अपने तैयार प्लान के बारे में ईटीवी भारत से चर्चा करते हुए बताया कि शहर की वास्तविक जरूरतों की पहचान करते हुए, कलाकारों और कारीगरों की स्थिति पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है. यह पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करते हैं. स्थानीय कारीगरों और उद्योगों के लिए मुआवजे को आगामी छह महीनों के लिए प्रति माह 10,000 रुपये दिया जाना चाहिए.
जरी-जरदोजी का काम करने वाली महिलाओं को किसी भी अन्य सरकारी योजना के लाभ के साथ-साथ प्रति माह 7,500 रुपये दिए जाने चाहिए. वाराणसी जिले में उनकी संख्या कुल 20,000 से अधिक नहीं है. गुलाबी मीनाकारी कारीगरों को चार महीने के लिए 15,000 रुपये प्रति माह दिए जाने चाहिए. इस अपेक्षित कला के रूप में जुड़े शिल्पियों की कुल संख्या 10,000 भी नहीं है. पंजीकृत हथकरघा श्रमिकों को अगले 9 महीनों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह दिए जाने चाहिए. साथ ही बिजली की छूट मिले.
तांबा धातु श्रमिकों को अगले 9 महीनों के लिए 7,500 रुपये दिए जाने चाहिए. रामनगर में पत्थर शिल्प श्रमिकों को अगले 9 महीनों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह दिए जाने चाहिए. इस शिल्प में शामिल परिवारों की संख्या बहुत कम है. लकड़ी के खिलौने के कारीगरों को कुल मिलाकर लगभग 2,000 हैं. उन्हें अगले नौ महीनों के लिए 7,500 रुपये प्रति माह दिए जाने चाहिए. कपड़े, साड़ी उद्योग, हथकरघा या पावरलूम का काम करने वाली महिलाओं को उज्ज्वला योजना के लाभ और अन्य सरकारी लाभों के अलावा अगले छह महीने के लिए 7,500 रुपये प्रति माह दिए जाने चाहिए.
संगीतकारों को दें मदद
गौरव कपूर का कहना है कि बनारस संगीत के लिए भी जाना जाता है. कबीर चौरा का इलाका संगीत घराने के रूप में विख्यात है, इसलिए सही मायने में संगीत घराने के जो युवा कलाकार हैं. उनकी मदद करनी चाहिए. ये संगीतकार इस समय अपने परफॉर्मेंस के लिए कहीं बाहर नहीं जा पा रहे हैं और उनकी जीविका नहीं चल रही है. ऐसे लोगों को भले आर्थिक मदद न दी जाए, लेकिन कम से कम उन्हें दूरदर्शन आकाशवाणी और अन्य डिजिटल माध्यम से अपने कार्यक्रमों को पेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. गौरव का कहना है कि यह कुछ ऐसे प्रयास हैं जो सीधे तौर पर लोगों तक अगर सरकार की ओर से पहुंचाए जाएंगे तो निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के लोगों की पुकार सुनकर उन्हें सच में बड़ी मदद दे सकेंगे.