वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी प्रकरण में श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले को लेकर दूसरे दिन कोर्ट के आदेश पर की जाने वाली कमीशन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया. इसकी बड़ी वजह कमीशन में शामिल वकील कमिश्नर के अलावा अन्य लोगों को मस्जिद के अंदर दाखिल ना होने देना बताया जा रहा है. वादी पक्ष के वकीलों का कहना है कि पहले से मस्जिद के अंदर मौजूद भीड़ ने उन्हें बैरिकेडिंग के अंदर घुसने ही नहीं दिया. इसकी वजह से आज कमीशन की कार्रवाई को स्थगित करना पड़ा. फिलहाल कमीशन की कार्रवाई रोक दी गई है. अब 9 मई को वादी पक्ष की तरफ से कोर्ट के आदेश के उल्लंघन और प्रशासनिक स्तर पर वादी पक्ष का साथ पूरी तरह से ना देने के मामले में कोर्ट में एक याचिका दायर की जाएगी. इसके बाद अब आगे क्या होगा यह न्यायालय की तरफ से निर्धारित किया जाएगा.
दरअसल, आठ अप्रैल को काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी नियमित दर्शन मामले में राखी सिंह समेत चार अन्य महिलाओं की तरफ से दायर की गई याचिका पर कोर्ट ने वकील कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त किया था. इस पर पूरे परिसर की वीडियोग्राफी कराने का आदेश देते हुए इसकी रिपोर्ट तलब की थी, लेकिन बाद में प्रशासन ने इसमें कुछ हस्तक्षेप करके अड़ंगा डालने की कोशिश की जिस पर कोर्ट ने इस अपील को खारिज करते हुए 26 अप्रैल को 6 मई और 7 मई को कमीशन की कार्रवाई करने का आदेश यथावत रखते हुए इसे पूर्ण करके 10 मई को रिपोर्ट मांगी थी.
6 मई को वकील कमिश्नर की मौजूदगी में यह कार्रवाई पूर्ण की गई, लेकिन उस दिन भी विरोध होने की वजह से वकील कमिश्नर व अन्य लोग अंदर दाखिल नहीं हो पाए थे. इसके बाद मुस्लिम पक्ष की तरफ से 7 मई यानी को वकील कमिश्नर पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाते हुए उन्हें बदलने की मांग कर याचिका दायर की थी. इस पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा और बाद में 9 मई को इस मामले में सुनवाई के लिए तिथि मुकर्रर की है. इन सब के बीच आज जैसे ही दोपहर लगभग 3:00 बजे के बाद वकील कमिश्नर के साथ वादी पक्ष और दूसरे पक्ष के लोग अंदर मौजूद होकर कार्रवाई को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रहे थे और जब मस्जिद की बाउंड्री वॉल के अंदर टीम दाखिल होने वाली थी तभी पहले से अंदर मौजूद मुस्लिम पक्ष के सैकड़ों लोगों ने उनका विरोध शुरू कर दिया.
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वादी पक्ष के वकीलों का कहना है कि इतनी ज्यादा संख्या में अंदर लोगों के होने की जानकारी ना ही प्रशासन को थी ना ही खुफिया एजेंसी को. वाद दाखिल करने वाली महिला सीता साहू का कहना है कि सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें अंदर जाने से रोका और कोर्ट का आदेश ना होने का हवाला दिया. फिलहाल इस पूरे प्रकरण में वादी पक्ष और उनके वकीलों की तरफ से लगातार मुस्लिम पक्ष और प्रशासन पर साथ न देने की बात कही जा रही है. यही वजह है कि आज अंदर होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो सकी और बाद में इसे स्थगित करना पड़ा. फिलहाल कार्रवाई अभी स्थगित है और 9 मई को वादी पक्ष की तरफ से कोर्ट में इस मामले में याचिका दायर कर आगे की रणनीति तैयार की जाएगी.