वाराणसी : अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास की ओर से तुलसी घाट पर हर साल की तरह इस साल भीध्रुपद मेला आयोजित किया गया.सुर साज की झंकार पर श्रोता पूरी रात झूमते रहे. कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर कर दिया.
वाराणसी : तुलसी घाट पर सजा ध्रुपद मेला की अनोखी छटा
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में प्रसिद्ध ध्रुपद मेला वाराणसी के तुलसी घाट पर चल रहा है. चारदिवसीय मेले की आज तीसरा दिन था. इसमें कई कलाकारों ने अपने हुनर से मधुर तान छेड़ी.
चार दिवसीय मेले के तीसरी रात का आरंभ मछुन्दा की ध्रुपद गायकी से हुआ.
पद्मश्री डॉक्टर राजेश्वर आचार्य ने बताया 1975 में ध्रुपद मिले का शुरुआत महाराजा बनारस ने कराया तब से यह अनवरत चलता आ रहा है.यह 45वांध्रुपद मेला है.कुछ ऐसे इंस्ट्रूमेंट जो विलुप्त हो गए थे उन्हें एक मंच मिला.लगभग एक हजार से ज्यादा विदेशी श्रोता यहां शामिल होते हैं.सबसे बड़ी बात है कि चौथी पीढ़ी ध्रुपद मेला का चल रहा है.इससे आने वाली पीढ़ी सीख रही है. विदेशी सीख रहे हैं जान रहे हैं इससे बड़ा सहयोग क्या होगा.