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चैत्र नवरात्रि 2022ः मां चन्द्रघंटा की कृपा से नहीं रहता है यम का भय, काशी में यहां स्थित है मंदिर - चंद्रघंटा मंदिर वाराणसी चौक

2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र शुरू हो चुका है जो 11 अप्रैल तक चलेगा. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी एवं तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजन करने की मान्यता है. धर्मनगरी वाराणसी के चौक में स्थित है मां चंद्रघंटा का मंदिर.

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मां चन्द्रघण्टा

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Published : Apr 4, 2022, 2:08 PM IST

वाराणसी: हिंदूओं के विशेष और महत्वपूर्ण पर्व में से नवरात्रि एक है. 9 दिन तक भक्तगण मां शक्ति की उपासना में लीन रहते और मां के नौ रूपों की आराधना करते हैं. 2 अप्रैल से चैत्र नवरात्र शुरू हो चुका है जो 11 अप्रैल तक चलेगा. धर्मनगरी काशी में माता की विधि विधान से पूजा की जाती है. ऐसे में काशी में नवरात्रि के तीसरे दिन चौक क्षेत्र स्थित पक्के महाल की संकरी गलियों में दर्शन के लिए लंबी लाइन लगी रही.

माता के जयकारों से मन्दिर परिसर व आस-पास का क्षेत्र देवीमय हो उठा. श्रद्धा भाव से लोगों ने मां चंद्रघंटा का दर्शन-पूजन कर घर परिवार में सुख समृद्धि की कामना की. मान्यताओं के अनुसार मां चन्द्रघंटा जब तक घंटी नहीं बजातीं तब तक यमराज भी किसी का प्राण नहीं ले सकते हैं.

मां चन्द्रघण्टा
चंद्रघंटा माता की दर्शन को आई महिला ने बताया कि मैं पिछले 20 सालों से दर्शन के लिए आती हूं. मां के दर्शन पूजन से सारी अड़चनें दूर और दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. मां के आशीर्वाद से मेरा घर, पति एवं बच्चे खुशहाल हैं. मां में मेरी बहुत आस्था है.

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चंद्रघंटा मंदिर के महंत वैभव योगेश्वर ने बताया कि आज नवरात्रि का तीसरा दिन है. पहले दिन माता शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी देवी एवं तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की विधि विधान से पूजन करने की मान्यता है. देवी चंद्रघंटा का स्वरूप स्वर्ण के समान चमकीला है. उनके मष्तक पर अर्ध चन्द्र सुशोभित है. इनके दशों भुजाओं में अस्त्र-शस्त्र एवं हड्डियां हैं.

वैभव योगेश्वर महंत ने आगे बताया कि काशी में मान्यता है कि जब किसी व्यक्ति के प्राण निकलते हैं तो भगवती उनके कंठ में जाकर घंटी बजाती हैं, जिससे मृतक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. नवरात्र के तीसरे दिन लोग भगवती की पूजा अर्चना करते हैं. जिसकी जैसी मनोकामनाएं होती है भगवती उसे पूरा करती हैं. उन्होंने आगे मां चंद्रघंटा मंदिर के विषय में बताते हुए कहा कि यह मंदिर प्राचीन है और इस मंदिर का उल्लेख काशी खंड में भी मिलता है.

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