वाराणसी: निर्माणाधीन फुलवरिया-लहरतारा फोर लेन पर इमिलियाघाट पुल के पास सड़क धंसने और दरारें पड़ने व भ्रष्टाचार की जांच के लिए सोमवार को केंद्रीय जांच टीम मौके पर पहुंची. तीन सदस्यीय टीम और दो स्थानीय अधिकारियों के साथ इमिलिया घाट पहुंची टीम ने सड़क पर दरारें पड़ने और धंसने की वजह जानने की कोशिश की. करीब एक घंटे तक जांच के बाद टीम लौट गई. टीम में सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह, जनरल मैनेजर क्वालिटी कंट्रोल रविदत्त और मुख्य परियोजना प्रबंधक संतराज के साथ दो स्थानीय अधिकारी रहे.
टीम में शामिल सेतु निगम के संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने आसपास के लोगों से पूछा कि उन्होंने क्या देखा, वहां मीडिया के लोग भी मौजूद थे. लोगों ने टीम को बताया कि दरारें कहां और कितनी मोटाई और गहराई तक पड़ी थीं. यह भी बताया गया कि सेतु निगम ने पुल के पास बनी सड़क के किनारे मिट्टी का बहाव रोकने के लिए कोई प्रबंध नहीं किया था. न तो बोल्डर डाले गए थे और न ही सीमेंट की दीवार खड़ी की गई थी.
टीम के सदस्यों ने पुल के दोनों किनारों के निर्माण कार्य को देखा. निरीक्षण के दौरान वरूणा में बाढ़ का पानी दिखाई दे रहा था. क्षतिग्रस्त सड़क निर्माण कार्य में मजदूर लगे रहे. इसके अलावा पुल के पूर्वी हिस्से, जिस तरफ की सड़क पर दरारें आई थीं वहां बाढ़ के पानी में बालू की बोरियां डाली जा रही थीं. जांच के दौरान संयुक्त परियोजना निदेशक राकेश सिंह ने बताया कि वह तकनीकी पहलुओं की जांच करने आए हैं. प्रथम द्रष्टया यह मामला बारिश और बाढ़ के पानी से मिट्टी के दरकने का लग रहा है. इस लापरवाही के लिए जो भी जिम्मेदार होंगे उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.