वाराणसी: नगर निगम के मिनी सदन में इस बार सीएम योगी का बुलडोजर चल चुका है और विपक्ष पूरी तरीके से जमींदोज हो गई है. इस चुनाव में भाजपा ने रिकॉर्ड बना लिया है. 25 साल से भाजपा मेयर की कुर्सी पर तो काबिज थी, लेकिन मिनी सदन में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पा रही थी. यूं कहें कि 1995 से आज तक भाजपा मिनी सदन में बहुमत का आंकड़ा नहीं ला सकी थी. मगर 13 मई को आए नतीजों ने सारे सूखे को खत्म कर दिया है. भाजपा ने इतिहास रचते हुए मिनी सदन में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है.
वाराणसी की मेयर सीट दो तरीके से बहुत अहम मानी जा रही थी. सबसे पहले तो यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट है और दूसरा यहां पर लगातार भाजपा का कब्जा रहा है. ऐसे में भाजपा को इस रिकॉर्ड को बरकरार रखना था. इसके साथ ही एक सूखा भाजपा के साथ और चला आ रहा था. वो है मिनी सदन में बहुमत का आंकड़ा न होना. भाजपा मेयर तो अपना बैठा रही थी, लेकिन संख्या में कम ही थी.
मिनी सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या 63 हुई:इस बार के चुनाव को सीएम योगी खुद मॉनिटर कर रहे थे. ऐसा खुद उन्होंने अपने भाषणों में कहा. शायद उसी का नतीजा रहा कि निगम में जहां तक काम नहीं पहुंचा था, वहां पर काम हुए. इसके साथ ही गलियों तक विकास पहुंचा. आज आए चुनाव परिणाम में भाजपा ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है. मिनी सदन में भाजपा की संख्या 63 हो गई है, जबकि बहुमत के लिए 46 का आंकड़ा पैमाना है. वहीं, कांग्रेस 8, सपा 13 और निर्दलीय की संख्या 15 है. बीएसपी और आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुला.
भाजपा ने काम के दम पर पार किया बहुमत का आंकड़ा:राजनीतिक विश्लेषक रत्नेश राय ने का कहना है कि अभी तक भाजपा मिनी सदन में 40 के अंदर सिमट जाती थी. बहुमत का आंकड़ा 46 के आसपास का है. बहुमत में न आने का कारण था कि गलियों में काम नहीं हो पा रहे थे. इस बार भी ये चुनाव भाजपा के लिए चुनौती के तौर पर देखा जा रहा था. सपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों ने भाजपा को कड़ी चुनौती दी, इसमें कोई संदेह नहीं है. योगी सरकार के काम का प्रभाव रहा कि इस बार भाजपा बहुमत के आंकड़े को पार कर गई है.