वाराणसी: आगामी चुनाव में बीजेपी काशी से एक तीर से दो निशाने साधने की तैयारी कर रही है. यूपी और पंजाब चुनाव के मद्देनजर बीजेपी ने एक खास मास्टर प्लान तैयार किया है. यह प्लान है संत रविदास के अनुयायियों को साधने का. चलिए बताते हैं कि आखिर बनारस से आखिर इसका क्या कनेक्शन है.
दरअसल, बनारस के सीर गोवर्धन इलाके में स्थित संत गुरु रविदास महाराज का जन्म स्थान है. यहां पंजाब और हरियाणा से बड़ी संख्या में लोगों का जुड़ाव है. वहीं, दलितों और पिछड़ों के भगवान और नए धर्म के रूप में तैयार हो चुके रविदासिया धर्म का यह सबसे बड़ा और पवित्र स्थल है. शायद यही वजह है कि 13 दिसंबर को अपने दो दिवसीय दौरे पर पहुंचने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी बनारस के संत रविदास मंदिर पहुंचकर यूपी से पंजाब को भी साधने की तैयारी कर सकते हैं.
बनारस से यूपी और पंजाब को इस तरह साधने की तैयारी में बीजेपी.
2004 के बाद मायावती ने शुरू की यहां से बड़ी राजनीति
महापुरुषों को लेकर राजनीति कोई नई बात नहीं है कभी गांधी कभी अंबेडकर तो कभी कबीर राजनीति के केंद्र में रहे. संत रविदास का नाम राजनीति के लिए कोई नया नहीं है क्योंकि जब उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती काबिज हुई थीं तब उन्होंने बनारस के संत रविदास जन्म स्थली के कायाकल्प में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. मायावती 2004 के बाद से संत रविदास की जन्म स्थली के कायाकल्प को लेकर लगातार सक्रिय रहीं. यूं कहें कि उत्तर प्रदेश में मायावती पहली नेता थीं जिन्होंने रविदास जन्म स्थली को लोगों के सामने प्रस्तुत किया.
बनारस के सीर गोवर्धन इलाके में स्थित संत गुरु रविदास महाराज का जन्म स्थान.
2006 में चढ़ाया सोने का छत्र और स्वर्ण पालकी
20% से ज्यादा दलित वोट बैंक के लिए मायावती ने संत रविदास के नाम का जमकर इस्तेमाल किया. उत्तर प्रदेश की राजनीति के अलावा पंजाब, हरियाणा और देश के कई हिस्सों के साथ ही विदेशों में रहने वाले इस नए धर्म से जुड़े लोग मायावती के कामों से बड़े प्रभावित भी थे. 2006 में मायावती ने सोने की पालकी और सोने का छत्र रविदास जी को चढ़ा कर उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब और अन्य जगहों पर रहने वाले दलित वोटर को पूरी तरह से बीएसपी के साथ लाने का काम किया, लेकिन समीकरण बदलते गए और महापुरुषों के नाम पर होने वाली राजनीति के साथ अन्य दल भी जुड़ गए.
बनारस के सीर गोवर्धन इलाके में स्थित संत गुरु रविदास महाराज का जन्म स्थान. बड़े-बड़े नेता टेक चुके हैं मत्था2009 के बाद संत रविदास धर्म को एक नए रूप में विकसित करते हुए करोड़ों की संख्या में इस धर्म से जुड़े लोग बड़े वोट बैंक के रूप में तैयार हो गए. जिसके बाद हर सियासी पार्टी ने इस नए धर्म को दलित और पिछड़ों का मजबूत वोट बैंक बांधकर बनारस के रविदास मंदिर को मेन सेंटर बनाया और फिर शुरू हुआ महापुरुषों के नाम पर बड़ा पॉलिटिकल गेम.
हर साल माघी पूर्णिमा के मौके पर होने वाले संत रविदास जयंती उत्सव में कांग्रेस से प्रियंका गांधी, राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव, अरविंद केजरीवाल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े नेता एक के बाद एक यहां पहुंचने लगे और नए राजनैतिक समीकरणों को साधने के साथ ही हर किसी ने महापुरुषों के नाम पर यूपी से पंजाब और हरियाणा को साधने की तैयारी शुरू कर दी.
इस बार जब पंजाब और यूपी में चुनाव होने को है तो बीजेपी ने अपने तरकश से इस बड़े तीर को निकालने की तैयारी कर ली है जिससे दलित वोट बैंक का बड़ा हिस्सा पार्टी के साथ आ जाए. शायद यही वजह है कि पीएम मोदी बनारस से ही पंजाब भी साधेंगे.
दरअसल इसकी बड़ी वजह यह भी है कि उत्तर प्रदेश में वर्तमान समय में 20% से ज्यादा दलित वोट बैंक है, जबकि पंजाब में हिंदू दलित वोट बैंक का परसेंटेज 70% है, जो अपने आप में किसी भी राजनीतिक दल के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है.
वर्तमान समय में कांग्रेस ने पंजाब में दलित चेहरे चन्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर पंजाब में पेश करके दलित वोट बैंक में सेंधमारी की बड़ी कोशिश की है. जिसके बाद अब बीजेपी बनारस के संत रविदास जन्म स्थली से पंजाब में रहने वाले दलित वोटर्स को रिझाने की कोशिश करने जा रही है.
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योगी सरकार के सत्ता में आने के साथ ही संत रविदास जन्म स्थली के कायाकल्प के प्लान को जल्द अमलीजामा पहनाने की तैयारी है. यहां पर तैयार हुए भव्य दो मंजिला बड़े हॉल को 13 दिसंबर को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों उद्घाटन कराने की तैयारी की जा रही है. जिसके लिए 28 नवंबर को अचानक से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संत रविदास मंदिर पहुंचकर मत्था टेका और कार्यों का निरीक्षण करके पीएम मोदी के आगमन की संभावना भी जता दी.
बनारस के सीर गोवर्धन इलाके में स्थित संत गुरु रविदास महाराज का जन्म स्थान. सबसे बड़ी बात यह है की बनारस के संत रविदास मंदिर से हर साल हर राजनीतिक दल के नेता बड़ी सियासी पारी खेलने की कोशिश में जुट जाते हैं. एक तरफ उनके निशाने पर उत्तर प्रदेश के दलित वोटर होते हैं तो दूसरे तरफ पंजाब के बड़े दलित वोट बैंक को भी बनारस से साधने का प्रयास होता है और इस बार बीजेपी के इस मास्टर प्लान में उन्हें कितनी सफलता मिलेगी और एक तीर से दो निशाना करने की चाहत क्या पूरी हो पाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.
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