उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

BHU का शोध: वैश्विक तापमान में वृद्धि बाढ़ और सूखे को दे रही न्यौता, गंगा के निचले इलाकों में कम होगी बरसात - global temperature rise

वैश्विक तापमान में वृद्धि आने वाले समय में बड़े संकट का कारण बन सकती है. बीएचयू के एक शोध में निकले नतीजे यही बताते हैं. शोध में सामने आया है कि गंंगा के निचले क्षेत्रों जहां औसत वर्षा में कमी आएगी, वहीं ऊपरी इलाकों में भारी वर्षा होगी. इससे बाढ़ और सूखे के आसार बनेंगे.

Etv Bharat
Etv Bharat

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2023, 10:22 PM IST

वाराणसी:भविष्य में औसत से भी कम वर्षा के कारण गंगा के निचले क्षेत्रों को सूखे का सामना करना पड़ सकता है. वैश्विक तापमान में वृद्धि से दुनिया भर में हाइड्रो क्लाइमेट की स्थिति जैसे बाढ़ और सूखे का खतरा बढ़ रहा है. इसका असर गंगा के निचले क्षेत्रों पर भी पड़ेगा. निकट भविष्य में यहां औसत वर्षा में लगभग 7 से 11 मिमी प्रतिदिन की कमी आएगी. जबकि ऊपरी क्षेत्रों में वर्षा के प्रतिशत में वृद्धि होगी. यह निष्कर्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में निकला है.

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय


वैश्विक तापमान में वृद्धि बनेगी भारी बारिश का कारण :काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान के अंतर्गत डीएसटी महामना जलवायु परिवर्तन उत्कृष्ट शोध केन्द्र में यह अध्ययन किया गया है. विभाग के प्रो. आरके मल्ल और पीएचडी शोधार्थी पवन कुमार चौबे ने भविष्य में वर्षा वृद्धि की प्रवृत्ति के कारण बाढ़ के जोखिम वाले शहरी क्षेत्रों का पता लगाया गया है. अध्ययन में पाया है कि पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर की नदियों में अत्यधिक वर्षा में वृद्धि हो सकती है, जबकि गंगा के ऊपरी और सिंधु नदी के इलाकों में भारी वर्षा में 14.3 प्रतिशत की वृद्धि के आसार हैं. प्रो. आरके मल्ल ने बताया कि वैश्विक तापमान में वृद्धि से दुनिया भर में बाढ़ व सूखे आदि का ख़तरा बढ़ रहा है. कहा कि भविष्य में भारत के पश्चिमी भाग की नदियों के ऊपरी हिस्से में भारी वर्षा की संभावना में लगभग 4–10 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है.


बाढ़ से जूझेंगे मुंबई और पुणे :प्रो. आरके मल्ल ने बताया कि अध्ययन में यह देखने को मिला है कि मुंबई और पुणे जैसे बड़े नगर जो कि भारत के पश्चिम में बहने वाली नदियों के क्षेत्र में स्थित हैं, उनमें भविष्य में बाढ़ के लिए उच्च संभावना हो सकती है. साथ ही गंगा के निचले क्षेत्र में मासिक वर्षा में लगभग 7 से 11 मिमी प्रतिदिन की कमी आ सकती है. वहीं भारत के पूर्वी घाट के नदी क्षेत्र में दैनिक वर्षा में लगभग 20% की कमी होगी. साल 2050 के बाद यह 15% की वृद्धि दर्ज कर सकती है. दूसरी ओर गंगा के निचले इलाकों को सूखे का सामना करना पड़ सकता है.


सूखा पड़ने की घटनाओं में हो सकती है वृद्धि :उन्होंने यह भी बताया कि अध्ययन में सीएमआईपी-6 जलवायु मॉडल मौसम व पर्यावरण से जुड़े कई आधारों को लेकर भविष्य के जलवायु अनुमानों का पता लगाने में सहायक होता है. इसके जरिए हुए अध्ययन के परिणाम दिखाते हैं कि भारत की नदियों के क्षेत्र में बाढ़ और सूखा पड़ने घटनाओं में वृद्धि देखी जा सकती है.


ऑनलाइन पढ़ सकते हैं अध्ययन के नतीजे :जनसंपर्क अधिकारी पवन कुमार चौबे ने बताया कि यह अध्ययन विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम के सहयोग से किया गया. अध्ययन के नतीजे वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित "अर्थ्स फ्यूचर”, अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (एजीयू)" में प्रकाशित किए गए हैं. अध्ययन के नतीजों को ऑनलाइन https://agupubs.onlinelibrary.wiley.com/doi/10.1029/2023EF003556# पर जाकर देखा जा सकता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details