वाराणसी :काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग की टीम वैश्विक महामारी के दौर में इंसानों के अंदर उनकी प्रतिरोधक क्षमता का सर्वे कर रही है. यूपी के साथ अब उत्तर, पूर्वी, दक्षिण भारत के राज्यों में भी सर्वे के लिए लोगों का सैंपल लिया जा रहा है. इस सर्वे में लगभग दस हजार लोगों की जांच का लक्ष्य रखा गया है. जनवरी के अंतिम सप्ताह में इनके परिणाम घोषित किए जाएंगे.
कई राज्यों से लिए गए सैंपल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यह शोध कार्य अक्टूबर से चल रहा है. जिससे अब तक बहुत से विश्वविद्यालय जुड़ चुके हैं. इस सर्वे में अब तक लखनऊ, गोरखपुर, मिर्जापुर, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, मऊ के साथ मध्य प्रदेश के रहने वाले करीब 5000 लोगों तक का सैंपल लिया जा चुका है.
प्रतिरोधक क्षमता का किया सर्वे रिसर्च के लिए शुरू किया गया सर्वे
इस मामले में प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि यह सर्वे एक रिसर्च के लिए शुरू किया गया है. जिसे उन्होंने बनारस से शुरू किया है. आज यह पूरे इंडिया में फैल चुका है. वो लोग अपनी रिसर्च जारी रखे हैं. इसमें कई और साइंटिस्ट उनसे जुड़ते चले गए. यह रिसर्च इनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है.
सरकारी डाटा से कई गुना ज्यादा है केस
प्रोफेसर चौबे ने बताया कि जितने गर्वमेंट रिपोर्ट में केस दिखाए गए हैं. उससे कई गुना ज्यादा इंफेक्शन उन जिलों में पाया गया है. इसमें वो लोग नॉर्मल लोगों का सैंपल करते हैं. जिन्हें पता भी नहीं होता कि उन्हें कोविड-19 होकर ठीक हो गया है. ऐसे लोगों का वो लोग एंटीबॉडी टेस्ट करते हैं. एंटीबॉडी यह बताता है कि वह इंडिविजुअल कभी करोना ग्रसित रहा है या नहीं. कोरोना से ग्रसित होने के बाद जर्नली हमारे शरीर में एंटीबॉडी बनती है. जो हमें प्रोटेक्ट करती है. बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता होता है कि उनके अंदर कोविड-19 बॉडी बन चुकी है.
लोगों में ये है रोग प्रतिरोधक क्षमता का स्तर
प्रोफेसर चौबे ने यह भी बताया कि यूपी में अब तक के परिणाम के अनुसार औसतन लोगों के शरीर में 30 से 40 प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता है. इसमें जौनपुर में 36 प्रतिशत, बलिया में 39 प्रतिशत, मिर्जापुर में 37 प्रतिशत, वाराणसी में 39 प्रतिशत लोगों के शरीर में हाई इम्यूनिटी है.
ओ ब्लड ग्रुप वाले कम संक्रमित
वैज्ञानिक ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि ओ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कम कोरोना हुआ है. जिनको हुआ भी है उनके अंदर इंफेक्शन का स्तर कम पाया गया है. उन लोगों ने साउथ इंडिया, सेंट्रल इंडिया और कोलकाता के अलावा कई सारी जगहों से सैंपल लिया है. जनवरी के अंत तक वो लोग पूरा डाटा कंपाइल कर देंगे और उसको पब्लिकेशन के लिए भेज देंगे.