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वाराणसी: अनुच्छेद 370 पर 1994 में ही हुआ था बीएचयू में शोध

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग में 25 साल पहले हुए शोध में ये सिद्ध कर दिया गया था कि अनुच्छेद 370 को सरल और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही समस्या का समाधान होगा.

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Published : Sep 17, 2019, 3:14 PM IST

अनुच्छेद 370 पर बीएचयू में शोध.

वाराणसी:पड़ोसी देश पाकिस्तान इस समय जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर अलग-अलग तरीके की धारणाएं बना रहा है. पड़ोसी देश पाकिस्तान आग बबूला होकर भारतीय संविधान और सरकार के खिलाफ मनगढ़ंत बातें भी कर रहा है. अनुच्छेद 370 क्या है और 35 (A) में किन बातों का ध्यान रखा गया है, इस पर कई तरह की चर्चाएं भी सामने आ रही हैं. अनुच्छेद 370 हटाना ही कश्मीर के लिए समस्याओं का निदान है. इससे संबंधित शोध 'कश्मीर त्रासदी और भारतीय जनता पार्टी' किरण सिंह नाम की छात्रा ने किया था.

अनुच्छेद 370 पर बीएचयू में शोध.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के राजनीति विभाग में 25 साल पहले हुए शोध में ये सिद्ध कर दिया गया था कि अनुच्छेद 370 को सरल और जम्मू-कश्मीर, लद्दाख को अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही समस्या का समाधान होगा. साल 1994 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा किरण सिंह ने अपने प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा के निर्देशन में शोध किया, जिससे यह पाया गया कि कश्मीर की समस्याओं का निदान अनुच्छेद 370 को सरल करने और 35 (A) से हटाने के बाद ही हो सकता है.

शोध के बारे में बताते हुए प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वर्षों पहले से ही कश्मीर को लेकर कई तरह के रिसर्च हो रहे हैं. कश्मीर को लेकर पाकिस्तान हमेशा ही भारत के साथ जंग करने की धमकी देता है. अगर बात कश्मीर की है तो भारत का आंतरिक मामला है. इस बारे में बोलने की दुनिया में किसी भी देश को इजाजत नहीं है.

काशी के राजनीति विज्ञान विभाग में दो अप्रैल 1994 में किए गए शोध के अनुसार कश्मीर की समस्याओं का निदान सिर्फ अनुच्छेद 370 को सरल करके ही हो सकता था. इसके लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि शोध में साफ तौर पर यह भी दिखाया गया. शोध पत्र में इस बात को भी दर्शाया गया है कि कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग राज्यों की मान्यता दे दी जाए. आतंकवाद और कश्मीर की सभी समस्याओं का निदान किया जा सकता है.

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