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नव संवत्सर ‘प्रमादी’ तिथि-पंजिका का बीएचयू कुलपति ने किया विमोचन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र ने ‘प्रमादी’ की तिथि पंजिका का निर्माण किया है, जिसका विमोचन कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने किया. इस पंजिका में मुख्य व्रतों, त्योहारों तथा पर्वों और तिथियों के बारे में बताया गया है.

नव संवत्सर ‘प्रमादी’ तिथि-पंजिका का बीएचयू कुलपति ने किया विमोचन.
नव संवत्सर ‘प्रमादी’ तिथि-पंजिका का बीएचयू कुलपति ने किया विमोचन.

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Published : Jun 17, 2020, 2:12 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैदिक विज्ञान केन्द्र द्वारा नवसंवत्सर ‘प्रमादी’ की तिथि पंजिका (Table Calendar) का विमोचन कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने किया. यह तिथि पंजिका अपने आप में कई मायने में अद्भुत है.

इसे मुख्य रूप से तिथियों के आधार पर 12 महीनों में रखा गया है. प्रत्येक तिथि के साथ उसके समाप्ति काल को दिया गया है. मुख्य व्रतों, त्योहारों तथा पर्वों को भी उन तिथियों के साथ दिया गया है. तिथियों के साथ अंग्रेजी दिनांक एवं वार का समन्वय होने से कोई सामान्य व्यक्ति (जिसे ज्योतिष की जानकारी नहीं है) भी इसे सहजतया समझ सकता है.

पंजिका में सूर्य ग्रहण तथा चन्द्र ग्रहण का वर्णन
इस तिथि पंजिका में वर्ष में पड़ने वाले सूर्य तथा चन्द्र ग्रहणों का भी वर्णन है. यह तिथि पंजिका वैदिक पर्यावरण चिन्तन एवं ऋतुचर्या को समर्पित है. बेहतर स्वास्थ्य के लिए ऋतुकालीन आहार-विहार, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय आदि का सांकेतिक वर्णन दिया गया है. इस टेबल कैलेण्डर से लोगों में दिन-प्रतिदिन की तिथियों और पक्षों का ज्ञान होने के साथ-साथ भारतीय वैदिक परम्परा ज्ञान का प्रचार प्रसार भी होगा.

आम व्यक्तियों की जानकारी के लिए राशियों के वार्षिक फल को भी इस तिथि पंजिका में बताया गया है. साथ ही भारतीय संस्कृति के मूल धरोहर और वेदों में वर्णित पर्यावरण विज्ञान के चिन्तन को छोटे-छोटे चित्रों तथा मन्त्रों एवं उनके भावार्थ के साथ दर्शाया गया है.

कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने किया पंजिका का विमोचन
केन्द्र के समन्वयक डाॅ. उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि इस तिथि पंजिका का उद्देश्य जन सामान्य को भारतीय संस्कृति तथा वैदिक विज्ञान के ज्ञान भण्डार से परिचित कराना है. कुलपति ने विमोचन करते हुए कहा कि वैदिक ज्ञान को जन-सामान्य के मध्य हृदयंगम बनाने का यह अत्यन्त सहज एवं सरल माध्यम है.

इसमें भारतीय पंचाग के अनुसार तिथियों, पर्वों आदि से सम्बन्धित मौलिक जानकारी तो है साथ ही हमारे वैदिक ग्रन्थों में पर्यावरणीय वैज्ञानिक तथ्यों का भी परिचयात्मक उल्लेख जन-मानस में वैदिक ज्ञान-विज्ञान के प्रति जिज्ञासा का प्रादुर्भाव करने वाला है.

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